उद्योग के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा बिहार : मंत्री समीर महासेठ


औद्योगिक उड़ान के लिए बिहार है तैयार : समीर महासेठ


किशोर क़ुमार ब्यूरो 


बिहार बदलाव के लिए तैयार है। 13 करोड़ की विशाल आबादी को रोजी-रोटी और रोजगार उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है। औद्योगिक गतिविधियों के तीव्र विकास के माध्यम से हीं बड़ी संख्या में रोजगार सृजित किये जा सकते हैं। उद्योगों को बढ़ावा देने तथा निवेशकों को हर प्रकार की सुविधाएँ प्रदान करने के लिए बिहार सरकार ने पारदर्शी तथा अनुकूल वातावरण तैयार किया है। राज्य में निवेश के लिए उत्सुक उद्यमियों को हर प्रकार की मदद दी जा रही है। राज्य सरकार द्वारा टेक्सटाइल एवं लेदर, फूड प्रोसेसिंग, सूचना प्रौद्योगिकी/आई.टी.इ.एस./इ.एस.डी.एम., इलेक्ट्राॅनिक वाहन, लाॅजिस्टिक और बायोफ्यूल को उच्च प्राथमिकता प्रक्षेत्र का दर्जा दिया गया है। बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति, 2016 द्वारा राज्य में निवेश करने वाले उद्यमियों को 20 करोड़ रूपये तक की ब्याज प्रतिपूर्ति, स्टाम्प ड्यूटी तथा रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट, स्किल डेवलपमेन्ट सब्सिडी, टैक्स संबंधित प्रोत्साहन आदि दिये जा रहे हैं। 

बिहार की लेदर एवं टेक्सटाइल नीति के तहत अधिकतम 10 करोड़ रूपये के पूंजीगत अनुदान, प्रति कर्मचारी प्रति माह 3 से 5 हजार रूपये की इम्प्लायमेन्ट जेनरेशन सब्सिडी, निर्यात होने वाले कार्गो पर माल भाड़े की 30 प्रतिशत प्रतिपूर्ति, बिजली बिल में प्रति यूनिट 02 रूपये का अनुदान तथा प्रति पेटेन्ट 10 लाख रूपये की प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है। राज्य में इथेनाॅल एवं कम्प्रेस्ड बायोगैस उत्पादन इकाइयों के सर्वांगीण विकास के लिए बिहार बायोफ्यूल्स उत्पादन प्रोत्साहन नीति, 2023 है, जिसके तहत प्लांट एवं मशीनरी पर अधिकतम 5 करोड़ रूपये के पूंजीगत अनुदान की व्यवस्था है। बिहार लाॅजिस्टिक नीति, 2023 के तहत बनायी गयी है पूंजी निवेश पर अधिकतम 25 करोड़ रूपये की कैपिटल सब्सिडी, 60 करोड़ रूपये तक के ब्याज अनुदान एवं दूसरे इन्सेन्टिव्स की व्यवस्था की गई है। 

वस्तुतः बिहार बिजनेस कनेक्ट-2023 का आयोजन एक ऐसा ऐतिहासिक अवसर है, जिसके माध्यम से बिहार की छवि को बदलने के लिए गंभीर प्रयास किया जा रहा है। कुछ कुत्सित मानसिकता के लोगों ने फिल्मों तथा दूसरे संचार माध्यमों से बिहार की एक गलत छवि लोगों और विशेषकर उद्यमियों के दिमाग में बैठा दी है। बिहार का उस प्रकार नरेशन ही गलत है। वस्तुतः बिहार ज्ञान और निर्वाण की भूमि है। बिहार गौतम बुद्ध, महावीर और गुरू गोविन्द सिंह की भूमि है। बिहार के वैशाली से ही लोकतंत्र की शुरूआत हुई। बिहार में नालन्दा, विक्रमशिला और उदवन्तपुरी जैसे विश्वविद्यालय रहे जहां से ज्ञान की रौशनी पूरे विश्व में फैली। चीन, जापान, कोरिया, थाईलैण्ड, नेपाल और भूटान जैसे देशों के लोग यहां पढ़ने के लिए आते रहे हैं। उद्योग के क्षेत्र में भी पूर्वी भारत का यह राज्य ऐतिहासिक रूप से समृद्ध रहा है। ढाका के मलमल की जितनी तारीफ होती रही है, उतनी ही प्रसिद्धि भागलपुर की तसर सिल्क की भी रही है। कई-कई देशों के राजा महाराजा भागलपुरी सिल्क के कपड़े शौक से पहनते रहे हैं। मौर्य काल में बिहार में बने शस्त्रों की मांग रही है। यहां के कारीगर अच्छी क्वालिटी के अस्त्र-शस्त्र बनाने में उस्ताद रहे हैं। 

बिहार के विभाजन से पहले राँची, जमशेदपुर और बोकारो जैसे इन्डस्ट्रियल शहर बिहार में रहे। लेकिन बिहार-झारखण्ड राज्य का जब विभाजन हुआ तो सभी बडे़ इन्डस्ट्रियल टाउन झारखंड में चले गये। उसके बाद बिहार सरकार ने आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए सतत प्रयास किया। सड़क, बिजली, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण पर बिहार ने काम किया। इससे बदलाव आया। आज देश में सबसे कुशल वर्कफोर्स बिहार में है। बिहार के पास पर्याप्त मात्रा में पानी है जिससे उद्योगों को पर्याप्त मात्रा में पानी हर मौसम में उपलब्ध कराया जा पाना संभव है।उद्योगों के क्षेत्र में बिहार सरकार ऐसी पहल करना चाहती है कि प्रयास और विकास दोनों दिखे। बिहार के लोग कन्याकुमारी से कश्मीर और महाराष्ट्र से मिजोरम तक जाकर अलग-अलग कम्पनियों में काम कर रहे हैं। बड़े-बड़े प्रोजेक्ट पूरा करने मंे अपना योगदान दे रहे हैं। बिहार के युवाओं में स्किल की कोई कमी नहीं है। लेकिन बिहार में ही युवाओं के लिए रोजगार सृजित करना आवश्यक है। वर्तमान सरकार ने सरकारी क्षेत्र में 10 लाख रोजगार देने का संकल्प लिया है। इसके लिए पूरी प्लानिंग की जा चुकी है। काम तेजी से चल रहा है। लेकिन बिहार मंे युवाआंे की बड़ी संख्या है जिनके लिए लाखों और रोजगार की आवश्यकता है। इसमें उद्योगों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। जब बिहार में उद्योग लगेंगे तो यहाँ के लोगों को यहीं पर रोजगार मिलेगा। बिहार के बाहर जहाँ भी बिहार के लोग काम करने के लिए गये, पूरा मन लगाकर काम किये हैं। बिहार में ही यदि उन्हें काम मिलेगा तो और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। 

उद्योग लगाने के लिए भूमि, पानी, बिजली और परिवहन के अच्छे साधन जरूरी है। उद्योगों की स्थापना के लिए बिहार में पुरानी चीनी मिलों की 3000 एकड़ भूमि का प्रबंध किया गया है। बियाडा द्वारा विकसित की गई यह भूमि आवंटन के लिए उपलब्ध है। आॅनलाईन प्रक्रिया के तहत कम समय में पूरी पारदर्शिता के साथ भूमि आवंटन किया जा रहा है। 

बिहार की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था में व्यापक बदलाव लाया गया है। उद्योगों के लिए डेडिकेटेड फीडर से 24 घंटे बिजली देने की व्यवस्था की गई है। यह सुविधा बिहार के हर जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में उपलब्ध है। 

आवागमन की समस्या को दूर करने के लिए बिहार ने सड़कों के विकास पर बहुत ध्यान दिया है। पिछले 10 सालों में बिहार में 3 लाख किलोमीटर से अधिक नई सड़कें बनायी गयी हैं। सड़कों की लम्बाई में 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इससे बिहार के किसी भी जिले से राजधानी पटना पाँच घंटे में पहुँचा जा सकता है। 

उद्योगों के लिए बाजार की जरूरत होती है। 13 करोड़ की आबादी के साथ बिहार अपने आप में बड़़ा बाजार है। बिहार की 53 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है जो यह सुनिश्चित करता है कि भविष्य में भी बिहार के बाजार का आकार बड़ा बना रहेगा। फिर यहाँ से माल तैयार कर उसे पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में भेजना आसान है। उस बाजार को भी बिहार से साधा जा सकता है। नेपाल, भूटान और बांगलादेश में एक्सपोर्ट करने के लिए भी बिहार मंे उत्पादन किया जा सकता है।बिहार सरकार ने लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। लोगों को उद्योग लगाने के लिए बैंकों से ऋण लेने में परेशानी होती थी, उस परेशानी को दूर करने के लिए हमनें मुख्यमंत्री उद्यमी योजना चालू की। 30 हजार से ज्यादा लोग 10-10 लाख रूपये की सहायता प्राप्त करके अपना उद्योग लगा चुके हैं। इसमें से कई उद्यमी बड़ी कम्पनियों के लिए भी जाॅब वर्क कर रहे हैं। इस योजना से महिलाओं को भी ताकत मिली है। मुजफ्फरपुर बैग कलस्टर में अनेक महिलाओं ने अपनी स्वयं की यूनिट लगायी है। सरकार से उनको लगातार सहयोग और मार्गदर्शन भी मिल रहा है।मझौले और बड़े उद्योगों के लिए हमनें बेहतर सपोर्टिंग सिस्टम तैयार किया है। औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, लेदर एवं टेक्सटाइल नीति, बायोफ्यूल्स नीति जैसी कई नीतियों के माध्यम से बड़े और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि आधारित उद्योगांे को लगाने के लिए भी प्रोत्साहन योजनाएँ हैं। पर्यटन और इन्फाॅरमेशन टेक्नोलाॅजी सेक्टर के लिए नई नीति पर तेजी से काम चल रहा है। उद्यमियों की हर समस्या के समाधान  तथा नियमानुसार उनकी हर जरूरत को पूरा करने के लिए बिहार सरकार तैयार है। सबकी कोशिश है कि बिहार अगले कुछ सालों में देश का अग्रणी राज्य बने। सबके साथ से ही उपभोक्ताओं के बिहार को उद्यमी बिहार बना पाना संभव है। बिहार बिजनेस कनेक्ट-2023 के माध्यम से उद्योग विभाग ने देश-विदेश के उद्यमियों और निवेशकों को बिहार के विकास का भागीदार बनने हेतु आमंत्रित किया है। उद्यमी यदि दो कदम बढ़ाएँगें तो बिहार सरकार उद्यमिता की विकास के लिए चार कदम आगे बढ़ायेगी। उद्योग लगाने के रास्ते में आने वाली हर बाधा को बिहार सरकार दूर करेगी। बिहार कई सेक्टरों में अपनी काबिलियत से आगे बढ़ा है। सबके सहयोग से उद्योग के क्षेत्र में भी आगे बढ़ेगा। नये प्रतिमान गढ़ेगा।

  

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