45 साल बीत जाने के बाद भी उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना अधूरी

औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह लोकसभा में सभापति को धन्यवाद देते हुए बहुप्रतीक्षित उत्तर कोयल परियोजना के बारे में भारत सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए संबोधन में कहा कि आज मैं लोक महत्व के अति महत्वपूर्ण विषय को उठाने जा रहा हुँ।बिहार-झारखंड की एक अन्तर्राजीय सिंचाई परियोजना है जिसका नाम उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना है यह परियोजना 1975 में स्वीकृत हुई और कार्य आरंभ हुआ जिस के प्रारंभिक लागत मात्र 30 करोड़ रुपए थी उस से बढ़कर 80 करोड़ हुआ आज 45 वर्ष बीत गए लेकिन यह परियोजना अधूरी है अभी तक इस परियोजना पर 1000 करोड़ से भी अधिक रुपए खर्च हो चुके हैं यह बताते हुए मुझे काफी तकलीफ हो रहा है कि 45 वर्ष बीत जाने के बाद भी यह योजना अधूरी है ।हालांकि पूर्व की सरकारों ने इस परियोजना को दफन ही कर दिया था लेकिन जब नरेन्द्र मोदी इस देश के प्रधानमंत्री बने तब 2014 के बाद इस परियोजना को पुनर्जीवित किया गया इसका दूसरा जन्म हुआ और उन्होंने सभी बाधाओं को दूर करते हुए केंद्रीय मंत्रिपरिषद से 1722 करोड़ रुपए से अधिक राशि की स्वीकृति दी इसके बाद 5 जनवरी 2019 को प्रधानमंत्री के कर कमलों के द्वारा इसका शिलान्यास हुआ परियोजना को पूरा करने के लिए समय अवधि 36 महीने की थी लेकिन बीच में कोरोना आ गया और इस नहर में जो कंक्रीट लाइनिंग करना था उसमें बिहार सरकार ने अनावश्यक देर की और दो वर्ष बीते जो बेकार गए लेकिन अब उसकी भी स्वीकृति और सहमति मिल गई है। अभी स्थिति यह है कि इस कुटकु डैम में फाटक तक नहीं लगा है और जो लाइनिंग का काम चल रहा है वह भी काफी धीमी गति से चल रहा है मेरा आपके माध्यम से भारत सरकार एवं केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय से अनुरोध है कि कम से कम समय में जितनी जल्दी हो सके कूटकू डैम में फाटक और लाइनिंग का काम जल्द से जल्द पूरा कराया जाए बताते चले कि सांसद इस परियोजना के लिए लगातार प्रयासरत रहते है और सदन में भारत सरकार को ध्यान आकृष्ट कराते है और प्रमुखता से इस मुद्दे को उठाते है।

  

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