मुंगेर : भक्तों के अधीन होते हैं भगवान -श्री सुबोधानंद जी महाराज।

मुंगेर/बिहार।


विश्वमोहन कुमार विधान।

असरगंज दुग्ध बाजार स्थित मायाराम ठाकुरवाड़ी में भागवत कथा।भगवान अपने भक्तों के अधीन होते हैं अपनी अर्धांगिनी श्री लक्ष्मी जी से भी अधिक भगवान विष्णु अपने भक्तों को प्रेम करते हैं।भगवान ने एक बार स्वयं ही दुर्वासा ऋषि से कहा था कि हे दुर्वासा जी मैं स्वतंत्र नहीं हूं बल्कि अपने भक्तों के पराधीन हूं।भक्तों की इच्छा के विपरीत में कुछ नहीं कर सकता हूं मैं अपनी अर्धांगिनी लक्ष्मी जी को तो त्याग भी सकता हूं।किंतु जो स्त्री पुत्र परिवार धन-संपत्ति आदि सबकुछ ठुकरा कर मेरी शरण में आता है उन भक्तों को त्यागने की बात भी मैं नहीं सोच सकता।उक्त बातें हरिद्वार की प्रसिद्ध कथा व्यास श्री स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने असरगंज के दूग्ध बाजार स्थित श्री मायाराम ठाकुरवाड़ी प्रांगण में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन बुधवार को अपने प्रवचन में श्रोताओं से कहीं।उन्होंने आगे कहा कि सनातन धर्म की रक्षा तथा दुश्मनों का संहार करने के लिए इस भारतवर्ष की पवित्र धरा पर युग युग में भगवान का अवतार होता है श्री कृष्ण जन्म का प्रसंग सुनते हुए स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने कहा कि द्वापर युग के अंत में मथुरा में कंस के कारागार निबंध वसुदेव देवकी के समक्ष साक्षात विष्णु भगवान ही अद्भुत बालक के रूप में प्रकट हुए उनके चारों हाथों में शंख,चक्र,गदा,पद्म (कमल) शरीर पर पितांबर कानों में कुंडल सिर पर मुकुट गले में कौस्तुभ मणि सुशोभित हो रही थी।वासुदेव जी ने अपने प्यारे पुत्र बालकृष्ण को यमुना पार करके नंद काका के महल में पहुंचा दिया।कथा के अंत में भगवान बालकृष्ण और वसुदेव जी की सुंदर झांकी दिखाई गई कथा के दौरान कथा स्थल पर सैकड़ों श्रद्धालु स्त्री-पुरुष उपस्थित थे।

  

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