शिक्षकों ने महागठबंधन सरकार के खिलाफ शुरू किया पोस्टर वॉर


Reporter/Rupesh Kumar


मुजफ्फरपुर : 31 जुलाई तक वार्ता कर शिक्षकों की मांगों पर विचार करने का सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद भी अब तक कोई पहल नहीं किए जाने और शिक्षकों पर लगातार की जा रही कार्रवाई से गुस्साए शिक्षकों ने सत्तारूढ़ दल के नेताओं के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया है। आक्रोशित शिक्षकों ने पोस्टर वार की शुरुआत कर दी है । पूर्वी चंपारण शिक्षक अशोक कुमार चौधरी  के आवास पर पोस्टर लगाते हुए शिक्षकों ने अपने दरवाजे पर महागठबंधन के नेताओं की नो इंट्री का पोस्टर लगा दिया है।  दरवाजे पर लगाए गए पोस्टर में स्पष्ट लिखा है कि यह नियोजित शिक्षक का घर है यहां आवारा कुत्ते और महागठबंधन के धोखेबाज नेताओं का प्रवेश वर्जित है । इसके साथ ही शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि यदि राज्य सरकार ने एक सप्ताह के अंदर नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने की घोषणा नहीं करती है तो इस पोस्टर वॉर को तेज किया जाएगा। पहले चरण में सभी शिक्षकों के दरवाजे पर पोस्टर लगाया जाएगा । दूसरे चरण में इस अभियान में अभ्यर्थियों के दरवाजे पर, तीसरे चरण में विद्यालय की रसोइया, चौथे चरण में आंगनवाड़ी सेविका, सहायिका और इसके बाद सभी संविदा कर्मियों को इस मुहिम में शामिल किया जाएगा । वर्तमान सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने संविदा कर्मियों को भरोसा दिलाया था कि उनकी सरकार बनेगी तो उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा और समान काम के बदले समान वेतन दिया जाएगा लेकिन सत्ता में आते ही उन्हें सरकार प्रताड़ित कर रही है.


 शिक्षिका पूर्णिमा कुमारी इत्यादि ने कहा कि वे 20 वर्षों से कार्यरत हैं इसके बावजूद उनके स्थानांतरण की कोई व्यवस्था नहीं की गई जिस कारण अपने ससुराल से 70 किलोमीटर की दूरी तय करके अपने मायके में नौकरी करनी पड़ती है । जो राजनैतिक दल कहते थे कि नियोजित शिक्षकों को समान काम का समान वेतन देंगे उनकी सरकार बन गई है तो वह प्रतिदिन नया नया फरमान जारी कर रहे हैं और शिक्षकों को प्रताड़ित कर रहे हैं।


परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ जिला इकाई पूर्वी चंपारण के जिला अध्यक्ष अशोक कुमार चौधरी, जिला संयोजक अनिल कुमार सिंह, जिला उपाध्यक्ष अमित कुमार श्रीवास्तव, प्रखंड अध्यक्ष बंजरिया, मोतिहारी प्रखंड अध्यक्ष मुकेश कुमार पासवान, मनोज कुमार चौधरी, बृजेश चौधरी, सचिन कुमार आदि नेताओं ने कहा कि सत्तारूढ़ दल नियोजित शिक्षकों को सम्मान देने की बात कह कर शिक्षकों का वोट ठगने का काम किया और आज शिक्षकों की दाढ़ी, उनके कपड़े पर भी सवाल खड़ा कर रहे हैं । जिन शिक्षकों ने तालिमी मरकज और टोला सेवक की बहाली की थी उन्हीं के द्वारा बहाल किए गए टोला सेवक और तालिमी मरकज स्वयंसेवी से उनकी जांच करा कर उन्हें अपमानित किया जा रहा है । इससे बड़ा दुर्भाग्य पूर्ण कुछ नहीं हो सकता है । सरकार समाज के सामने शिक्षकों के प्रति झूठी हमदर्दी जताते हुए और उनसे वार्ता करने का आश्वासन देती है और दूसरी ओर अपनी मांग के लिए धरना प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों को सीधे बर्खास्त करने का आदेश जारी करवाती है  जिससे सरकार के दोहरे चरित्र का पर्दाफाश हो गया है । शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि एक सप्ताह के अंदर यदि नियोजित शिक्षकों के विरुद्ध निलंबन और बर्खास्तगी की की गई दमनात्मक कार्रवाई वापस लेते हुए उन्हें राज्य कर्मी का दर्जा नहीं दिया गया और स्थानांतरण, प्रोन्नति सहित उनकी अन्य समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो महागठबंधन के नेता अगर शिक्षकों के घर पर जाते हैं तो उनके मुंह पर कालिख पोतेंगे और उनको अपने दरवाजे से भगाने का काम करेंगे.


शिक्षकों ने कहा कि विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है । सरकार शिक्षकों को राजनीति का मोहरा बनाना चाहती है । हर बात के लिए सरकार शिक्षकों को हीं जिम्मेदार ठहरा देती है और अपनी जिम्मेवारी से भागती है ।अपर मुख्य सचिव लगातार पत्र निर्गत कर सभी अधिकारियों को निर्देशित कर रहे थे कि शिक्षकों को किसी गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जाए और आज जब जातिगत जनगणना की बारी आई है तो स्वयं अपर मुख्य सचिव ने ही शिक्षकों को जातिगत जनगणना में लगाने का आदेश जारी कर दिया हैं । इससे पता चलता है कि सरकार और विभागीय अधिकारियों को बच्चों की शिक्षा से मतलब नहीं है बल्कि शिक्षकों को समाज में नीचा दिखाकर और उन्हें अपमानित करके आम जनता का सेंटीमेंट उभारकर शिक्षक विरोधी राजनीति करनी है.


खुद को संविधान का रक्षक और समाजवादी कहने वाले राजनेताओं को आड़े हाथों लेते हुए शिक्षकों ने एक स्वर से कहा कि शिक्षा विभाग में प्रतिदिन संविधान की होली जलाई जा रही है । किसी भी कर्मचारी के लिए उसकी कार्यावधि निर्धारित होती है । विद्यालय 9 बजे से 4 बजे तक के लिए संचालित किया जाता है लेकिन उसके बाद भी 4 बजे से 6 बजे तक VC किया जा रहा है । शिक्षकों के साथ बंधुआ मजदूर और गुलाम की तरह पदाधिकारी व्यवहार कर रहे हैं । जिस पदाधिकारी को जो इच्छा हो रही है वही एक नया फरमान जारी कर दे रहा है ।महिलाओं का विशेषावकाश रद्द कर दिया जा रहा है जो उनका संवैधानिक अधिकार है । किसी भी बच्चा के परवरिश और उसके शिक्षा की सबसे पहली जवाबदेही अभिभावकों की होती है लेकिन किसी अभिभावक पर कोई जिम्मेवारी निर्धारित नहीं की गई है । उल्टे बच्चा विद्यालय नहीं आए तो शिक्षक के ऊपर कार्रवाई की जा रही है । शिक्षकों को सरकार मुकदमाबाजी के लिए मजबूर कर रही है.


उपस्थित शिक्षकों मे बंशीधर ब्रजवासी, लखन लाल निषाद, पूर्णिमा पटेल,हिमांशु शेखर सिंह, मायाशंकर कुमार, राजेश यादव, संजीव कुमार, निरंजन शाही, शंकर बिहारी, सुमित कुमार, लोकमान्य पटेल, श्री नारायण सहनी, अरविंद कुमार, शंकर सहनी, रंजीत कुमार, मुनीन्द्र झा, विकास कुमार, राजीव झा, अजीत कुमार, लक्ष्मी नारायण कुमार गुप्ता, सुधीर सहनी, अनिल ठाकुर, ललित नारायण मिश्र, ओम प्रकाश ठाकुर, गौतम बिहारी आदि सैकड़ो शिक्षक उपस्थित हुए. उक्त जानकारी लखन लाल निषाद प्रमंडलीय संगठन प्रभारी तिरहुत, परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ ने दी.

  

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