आखिर कब होगा स्तूप का संपूर्ण विकास।

मोतिहारी:--जिस तरह हर एक धर्म में एक पूजा स्थल अवश्य ही होता है, वैसे ही बौद्ध धर्म में भी एक स्थान बौद्ध 'स्तूप' का होता है। यहां बता दें कि बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध हैं। बौद्ध धर्म के अनुसार बौद्ध स्तूप की संरचना बुद्ध के आदर्श शारीरिक अनुपातों के अनुसार धार्मिक स्मारकों की संरचना की जाती है।जैसा कि आप जानते हैं कि विश्व प्रसिद्ध केसरिया बौद्ध स्तूप जो केसरिया में स्थापित है।जिसका जिर्णोद्धार कहने और देखने में फर्क पैदा कर रही है।यह वहीं जगह है जिसकी चर्चा विदेशों में भी बना हुआ है। लेकिन इस बौद्ध स्तूप परिसर में एक शौचालय की व्यवस्था नहीं है। शौचालय निर्माण कार्य शुरू किया गया है लेकिन कार्य अधूरा ही रह गया है। ठीक वैसे ही स्तूप पर लाईटींग की व्यवस्था भी कि गई है जो स्तूप के आधा हिस्सा आज भी अंधेरा में रहता है।स्तूप परिसर के चारो तरफ काफी गढ़्ढा है जिससे बरसात के मौसम में जल जमाव की स्थिति बनी रहती है। हालांकि की दिखावे के लिये स्तूप पर जाने के लिए पहुंच पर का निर्माण,इसके संरक्षण के मद्देनजर चारो तरफ बाउंड्री वॉल का निर्माण किया गया है।साथ हीं कडोरो की लागत से एक कैफेटेरिया भी बनकर तैयार हो गया है। पर्यटकों के ठहरने के लिए स्थानीय ब्लॉक परिसर में पर्यटक भवन बनाया गया है।जिसपर ब्लॉक व अंचल के सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों का कब्जा है।स्तूप के डेवलपमेंट के लिए बिहार के करीब दर्जनों आला अधिकारी व राजनितज्ञ आये बहुत सारे वादे किए और चले गए।वादे के मुताबिक कई कार्य अधूरे हैं। गौरतलब हो कि विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप अपने आप में गौरवशाली है।और इसका विकास पिछले 25 वर्षों से चल रहा है जो आज भी अधूरा है।इसके विकास को लेकर कई संगठनात्मक व साकारात्मक कदम उठाए गए।जैसा कि आप जानते हैं केसरिया बौद्ध महोत्सव जो विगत 1998 में सर्व प्रथम सामाजिक कार्यकर्ताओं ने डॉ0 परमेश्वर ओझा, विनोद कुशवाहा,सिताराम यादव, श्यामबाबू प्रसाद, राजकुमार प्रसाद,वशील अहमद खां,पूर्व प्रमुख नारायण किशोर सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर बौद्ध स्तूप के विकास को लेकर बौद्ध महोत्सव का आगाज किया गया था।इसी बीच बिहार सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नितीश कुमार वर्ष 2007 में बौद्ध महोत्सव को सरकारीकरण कर दिया।तब से सरकारी स्तर पर जिला प्रशासन के द्वारा इसकी शुरुआत की गई।जो विगत वर्ष 2018 से बंद बौद्ध महोत्सव बंद है।पूर्व के जिलाधिकारी रमण कुमार के पहल पर वर्ष 2017 में महोत्सव का कार्यक्रम किया गया था। उसके बाद से बंद है।लेहाजा ऐसा लग रहा है कि महोत्सव के कार्यक्रम बंद होने से बौद्ध स्तूप का विकास भी धीमा हो गया है। आखिर कब तक इसका जिर्णोद्धार पूर्ण होगा यह कहना मुश्किल ही नहीं अब नामुमकिन भी लगने लगा है।कब तक लोग इस आस में रहेंगे कि स्तुप का विकास होगा तो केसरिया का भी विकास होगा।

  

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