बक्सर - किसान नेता राकेश टिकैत चौसा में किसानो के बीच पहुंच कहा यहां पर भी करेंगे बड़ी पंचायत


रिपोर्ट - सुमंत सिंह बक्सर।

बक्सर - जिले के चौसा प्रखंड में  शतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड ( SJVNL) द्वारा (बक्सर ताप विद्युत परियोजना) करीब दस हजार करोड़ की लागत से बारह सौ बीस मेगावाट बिजली उत्पादन हेतु  युद्धस्तर पर चल रहे कार्यों में इन दिनों किसानो द्वारा पूरी तरह से रोक लगा दिया गया है। क्योंकि पानी पाइप लाइनऔर रेलवे लाईन निर्माण हेतू किए गए भूमि अधिग्रहण के उचित मुआवजे की मांग को लेकर यहां के किसान पिछले  88 दिनों से धरना प्रदर्शन के जरिए आंदोलनरत है। मगर एसजेवीएनएल द्वारा किसानो के अधिग्रहित भूमि का तत्काल दर पर मुआवजा न देते हुए बक्सर ताप विद्युत परियोजना के लिए किए गए वर्ष 2013 में भूमि अधिग्रहण के  दर से मुआवजा देने की बात पर किसानो और कंपनी के बीच सामंजस्य स्थापित न होने की वजह से किसानो द्वारा दस जनवरी को एसजेवीएलएल द्वारा चल रहे निर्माण कार्य को रोक दिया गया, जिसके बाद पुलिसिया कारवाई हुई और मामला तुल पकड़ता गया और अगले दिन यानी 11जनवरी को किसानो के साथ कुछ असामाजिक तत्वों ने ऐसा बवाल काटा की कंपनी का करोड़ो का नुकसान हुआ और पूरे देश में ये मामला सुर्खियों में रहा और फिर इस आंदोलन की आड़ में ऐसी सियासत शुरू हुई की राजनीतिक गलियारों में भूचाल सा आ गया  और अब किसानो के बहाने विपक्ष अपना उल्लू साधने में लगा हुआ है और राजनीतिक गलियारों के सभी दिग्गज किसानो के बीच पहुंच उनकी हमदर्दी हासिल करने की जुगत में एड़ी-चोटी एक किए हुए है। वही उसके जवाब में सताधारी दल के लोग भी किसानो के मुद्दे को गंभीरता से नही ले रहे।

हालांकि किसान इन सब से परे अपने आंदोलन को तेज करने की कवायत में लगे हुए है। और इनके कवायत को अंजाम तक पहुंचाने हेतू आज 16 जनवरी को चौसा में किसानो के बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौo राकेश टिकैत पहुंचे हुए है।जहा उन्होंने किसानो को संबोधित करते हुए उन्हें उनके हौसले को बुलंद करने का कार्य करते हुए यहां के सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि एक महीने का समय है अगर एक महीने के अंदर आपलोग नही चेते तो यहां पर भी 20 फरवरी से आंदोलन की शुरुआत होगी और फिर यहां पर भी ट्रैक्टर चलेंगे। साथ ही उन्होंने  किसानो के ऊपर किए गए दर्ज मुकदमे को लेकर कहा कि आपलोग एफआईआर से नही डरिए क्योंकि आंदोलनकारी मुकदमे से नही डरते। उन्होंने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार सभी सरकारो द्वारा किसानो को लूटने का कार्य किया जा रहा है और इसके लिए लड़ाई लड़ी जायेगी और यहां के किसानो के आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए हम यहां पर बड़ी पंचायत करेंगे।  किसानो की जमीन सस्ती दर पर नही जाने देंगे सरकार को उचित मुआवजा देना पड़ेगा। साथ ही उन्होंने बताया कि अभी हम एक दिवसीय यात्रा पर यहां आए हुए है और अभी यहां के सरकार के अधिकारियों से बात करने के साथ ही आगे की रणनीति तय की जाएगी और फिर हमारे द्वारा भारतीय किसान यूनियन की कमिटी से बात करने के बाद यहां पर बड़ी पंचायत निश्चित तौर पर होगी और फिर इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। साथ ही एमएसपी गारंटी कानून को लेकर अनवरत आंदोलनरत रहते हुए उन्होंने  केंद्र सरकार को घेरते हुए दिल्ली में 4 लाख ट्रैक्टरों के साथ किए गए आंदोलन की याद दिलाई और इस कानून को लागू करने हेतू किसानो को फिर से आंदोलनरत रहने हेतु तैयार रहने की भी बात कही।

गौरतलब है की साल 2020 में कृषि कानून के विरोध में गाजीपुर बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन से सुर्खियों में आए  राकेश टिकैत

किसानों की आवाज को बुलंद करना और उनके अधिकारों की रक्षा हेतु आंदोलनरत रहते हुए उन्होंने देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक किसानों को अपनी आवाज उठाने और लड़ने का अधिकार सिखाया। नतीजतन  किसान  उन्हें अब अपना आदर्श भी मानने लगे है। 

बताते चले की जब अर्जेंटीना की सरकार ने किसानो पर अत्यधिक टैक्स का बोझ लाद दिया था तो राकेश टिकैत के आदर्शो से प्रेरित हो वहां के किसान भी अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स स्थित राष्ट्रपति भवन का घेराव ट्रैक्टरों से कर दिया और अपनी मांगों को अंजाम तक पहुंचाने में सफलता पाई।

बहरहाल अब देखनेवाली बात ये होगी की क्या किसान नेता राकेश टिकैत के चौसा आकर किसानो से मिलने के बाद यहां के किसान अपने आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने में कितनी सफलता प्राप्त कर पाते है।

  

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