

मधुबनी(बिहार)-भामती वाचस्पति राजकीय महोत्सव में इंडियन आईडल व सुर संग्राम फेम सिंगर सौम्या मिश्रा ने अपने लाजवाब प्रस्तुति सें बांधा समा
- by Raushan Pratyek Media
- 18-Mar-2023
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मधुबनी जिले के अंधराठाडी में स्थित पीडीकेजी कॉलेज परिसर में आयोजित दो दिवसीय भामती वाचस्पति महोत्सव के अंतिम दिन इंडियन आईडल एवं सुर संग्राम फेम सिंगर सौम्या मिश्रा ने अपनी लाजवाब प्रस्तुति सें समा बांध दिया!दर्शकों के भीड़ ने लगातार ताली बजाकर सिंगर सौम्या मिश्रा का हौसला आफजाई किया!बताते चले की इस भव्य कार्यक्रम में सिंगर सौम्या मिश्रा ने मैथिली एवं हिंदी दोनों भाषाओं एक पर एक गीत गाकर दर्शकों का मन जीत लिया!इस दौरान आयोजकों के द्वारा सिंगर सौम्या मिश्रा क़ो पाग,चादर एवं मोमेंटो देकर सम्मानित भी किया!कार्यक्रम में कई अन्य कलाकारो के द्वारा भी रंगारंग प्रस्तुति दी गई!आपको बता दे की झंझारपुर एसडीएम शैलेश कुमार चौधरी के नेतृत्व में भव्य पंडाल का निर्माण कराया गया!तीन साल बाद होने वाले दो दिवसीय भामती वाचस्पति महोत्सव को लेकर जिला प्रशासन सक्रिय दिखी!कार्यक्रम में संस्कृत व मैथिली साहित्य पर चर्चा, कवि सम्मेलन के साथ रात के दस बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ!मिथिला के पुरातत्वों और मिथिला कला एवं संस्कृति पर विस्तृत परिचर्चा हुई! सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद समारोह का समापन हो गया!पंडित वाचस्पति मिश्र मधुबनी जिले के अन्धराठाढी गाँव के निवासी थे।इन्होने वैश्विक दर्शन के अतिरिक्त अन्य सभी पाँचो आस्तिक दर्शनों पर टीका लिखी है। उनके जीवन का वृत्तान्त बहुत कुछ नष्ट हो चुका है। उनकी एक कृति का नाम उनकी पत्नी भामती के नाम पर रखा है। वाचस्पति मिश्र ने उस समय की हिन्दुओं के लगभग सभी प्रमुख दार्शनिक सम्प्रदायों की प्रमुख कृतियों पर भाष्य लिखें हैं।इसके अतिरिक्त तत्व बिन्दु नामक एक मूल ग्रन्थ भी लिखा है जो भाष्य नहीं है।गौरलतब हैं की वेदान्त दर्शन ब्रह्मसूत्र आध्यात्म विद्या का अत्यन्त सरस विषय है!पंडित वाचस्पति मिश्र ने उसके भाष्य का संकल्प किया। उन्हीं दिनों उनका विवाह संस्कार भी हुआ जब उनके मस्तिष्क में इस भाष्य की कल्पना चल रही थी। इधर घर में धर्मपत्नी ने प्रवेश किया उधर पंडित जी ने भाष्य प्रारम्भ किया। विषय है ही ऐसा कि उसकी गहराई में जितना डूबों उतनी ही अधिक गहराई दिखाई देती चली जाये।पंडित जी को भाष्यपूरा करने में 80 वर्ष लगे।ग्रन्थ पूरा होते ही उन्हें स्मरण आया-वे विवाह कर धर्मपत्नी को घर लाये थे किन्तु अपनी साहित्य साधना में वे उन्हें बिल्कुल ही भूल गये।अपराध बोध के कारण बाचस्पति सीधा अपनी धर्मपत्नी भामती के पास गये और इतने दिनों तक विस्मृत किए जाने का पश्चाताप करते हुए क्षमायाचना की।पति का स्नेह पाकर भामती भाव-विभोर हो गई!

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