

मधुबनी-सुरक्षित व संस्थागत प्रसव की ओर महिलाओं ने बढ़ाया कदम
- by Raushan Pratyek Media
- 08-Jun-2023
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-जिले में 5 वर्षों में संस्थागत प्रसव में 23 प्रतिशत की हुई बढ़ोतरी
-50.3 प्रतिशत से बढ़कर 73.7 प्रतिशत हुआ आंकड़ा
-घरेलू प्रसव में 5.4 प्रतिशत की आयी कमी
- सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव जरूरी है- एसीएमओ
किशोर क़ुमार ब्यूरो
मधुबनी जिले में गृह प्रसव को दरकिनार कर महिलाओं ने सुरक्षित व संस्थागत प्रसव की तरफ अपना कदम बढ़ाया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा संस्थागत प्रसव को अधिकाधिक बढ़ावा देने के लिए किये गये प्रयासों का सकारात्मक असर दिख रहा है। गर्भवती महिलाओं के प्रसव प्रबंधन की दिशा में आशा कार्यकर्ता व आंगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर लायी गयी जागरूकता और स्वास्थ्य केंद्रों पर आधारभूत संरचना में बदलाव से संस्थागत प्रसव की तस्वीर बदल रही है। एसीएमओ डॉ आर के सिंह ने बताया सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव जरूरी है। संस्थागत प्रसव अस्पताल में प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्य कर्मी की देख-रेख में करायी जाती है। अस्पतालों में मातृ एवं शिशु सुरक्षा के लिए भी सारी सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं। साथ ही किसी भी आपात स्थिति यथा रक्त की अल्पता या एस्पेक्सिया जैसी समस्याओं से निपटने को तमाम सुविधाएं अस्पतालों में उपलब्ध होती हैं।
संस्थागत प्रसव में 23 प्रतिशत का हुआ इजाफा:
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे—5 (2019- 20) के अनुसार जिले में संस्थागत प्रसव में बदलाव देखने को मिला है। बीते पांच सालों में संस्थागत प्रसव के फायदों के प्रति आयी जागरूकता के कारण इसमें 23.4 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। पूर्व में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे—4 (2014- 15)
की रिपोर्ट बताती है कि संस्थागत प्रसव दर 50.3 प्रतिशत था, जो अब 73.7 प्रतिशत हो गया है। वहीं एनएफएचएस—4 में सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में संस्थागत प्रसव दर 39.9 प्रतिशत रहा था। यह दर बीते पांच सालों में बढ़ कर 52.4 प्रतिशत हो गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा अनुमंडलीय व सदर अस्पताल में सुरक्षित प्रसव संबंधी विभिन्न सुविधाएं प्रदान की गयी हैं।
गृह प्रसव दर में भी आयी कमी:
आमजनों में संस्थागत प्रसव के प्रति आयी जागरूकता के कारण घरों में होने वाले प्रसव दर भी घटे हैं। राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वे-4 के अनुसार यह आंकड़ा 13.2 फीसदी था। एनएफएचएस—5 के मुताबिक वर्तमान में यह दर 7.8 प्रतिशत है। यानि घरों में प्रसव दर 5.4 फीसदी घटा है। घरों में प्रसव कई मायनों में जोखिम होता है। प्रसव के समय किसी भी आपात स्थिति से निबटने की सुविधाओं की कमी के कारण प्रसूता की जान भी चली जाती है। प्रसव के समय मां व शिशु की सुरक्षा कई मायनों में महत्वपूर्ण है।

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