बढ़ती ठंड को लेकर मुजफ्फरपुर आपदा विभाग ने जारी किया एडवाइजरी : इन इन बातों का रखे ध्यान


Reporter/Rupesh Kumar


मुजफ्फरपुर : कुछ दिनो से ठंड का असर बढ़ने लगा है, शाम होते ही ठंड महसूस होने लगता है, ऐसे में बच्चो और बुजुर्गों पर विशेष ध्यान रखे कि जरूर होती है, इसको लेकर मुजफ्फरपुर जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकारण के द्वारा जनहित में कई प्रकार की एडवाइजरी जारी की गई.


➡️बुजुर्ग लोगों, नवजात शिशुओं और बच्चों की देखभाल करें, साथ ही अकेले रहने वाले लाचार व निःसहाय बुजुर्ग व दिव्यांग लोगों की सहायता करें..


➡️ बिजली की खपत को कम करें, रूम हीटर का प्रयोग आवश्यकता पड़ने पर ही करें। जब भी रूम हीटर का प्रयोग करें तो वेंटिलेशन का पर्याप्त ध्यान रखें..


➡️पशुओं या घरेलू पशुओं को ठंढ़ के मौसम में अंदर रखें व उन्हें कंबल से ढ़क दें। पशुबाड़े को बायुरोधी बनायें..


➡️शराब या अन्य नशायुक्त पेय का सेवन न करें, यह आपके शरीर के तापमान को कम करता हैं, वास्तव में यह आपके रक्त वाहिकाओं, विशेष रूप से हांथों में हाईपोथर्मिया के जोखिम को बढ़ा सकता है..


➡️ठंढ़ लगे हुए अंग परतेल की मालिश न करें, इससे त्वचा को नुकसान पहुॅच सकता है..


➡️शरीर में कंपकंपी को नरजअंदाज न करें। यह पहला संकेत है कि शरीर की गर्मी कम हो रही है। घर के अंदर रहें। यदि कपड़ा गीता या बहुत ठंढ़ा है तो कपड़े बदल दें। कंबल, कपड़ा, तौलिया या चाद से शीर को गर्म करने का प्रयास करें। शरीर के तापमान को बढ़ाने में मदद करनले के लिए गर्म पेय लें..


➡️ ठंढ़ से प्रभावित व्यक्ति को तब तक कोई तरल पदार्थ न दें जब तक वह पूरी तरह से सामान्य न हो जाए..


➡️शीतलहर के सम्पर्क में आने से हाईपोथर्मिया हो सकता है - शरीर के तापमान में कमी जिससे कंपकंपी, बोलने में कठिनाई, नींद न आना, कड़ी मांसपेशियां, सांस में भारीपन, कमजोरी या बेहोशी जैसे लक्षण हो सकते हैं। हाईपोथर्मिया एक प्रकार की मेडिकल इमरजेंसी है, इस स्थिति में हाईपोथर्मिया से पीड़ित व्यक्ति को जितनी जल्दी को सके तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएँ..


➡️फसलों को शीतलहर के प्रभावों से बचाने के लिए व उपचारात्मक उपाय हेतु फसल पर Bordeaux या काॅपर ओक्सी क्लोराईड के घोल के छिड़काव करें। शीतलहर के बाद फास्फोरस (P) और पोटेशियम (K) उर्वरकों का प्रयोग फसलों की जड़ों के विकास को पुनः सक्रिय करेगी और फसल को शीतलहर के प्रभावव से तेजी से उबरने में सहायता करेगी..


➡️शीतलहर के दौरान हल्की और सतह की निरंतर सिंचाई करें। पानी की सिंचाई शीतलहर के कारण संभावित क्षति से पौधे की रक्षा करती है..


➡️स्प्रिंकलर सिंचाई से पौधों में होने वाले रोगों को कम करने में सहायता मिलेगी क्योंकि पानी की बूंदों का संघनन पौधों की रक्षा करती है..


➡️शीतलहर रोधी फसलों/पौधों/किस्मों को बढ़ावा दें..

  

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