नीतीश कुमार लिख रहे गया में विकास की कहानी , हिंसा का मार्ग छोड़ नक्सलियों के परिजन कर रहे सहयोग

रिपोर्ट :- अभिषेक कुमार

गया बिहार के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं नीतीश कुमार , जहां दिन के उजाले में परिंदा भी पर मारने की हिमाकत ना कर सके , वहां आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नक्सलियों की राजधानी गया जिला के बियावान इलाकों में रोजगार और स्वावलंबन की गाथा की पटकथा लिखने पहुंचे हैं। जी हां... हम बात कर रहे हैं गया जिला का लाल जोन कहा जाने वाला इमामगंज , बांके बाजार , चक्र बंदा , लुटुआ जैसे इलाकों की , जहां दिन के उजाले में कोई भी जाने की हिम्मत नहीं करता था , आज वहां नीतीश कुमार विकास और स्वावलंबन की कहानी लिख रहे हैं। इस इलाके के रहने वाले लोग उग्रवाद और हिंसा का मार्ग छोड़कर नक्सलियों के परिवार बिहार के विकास में सहयोग कर रहे हैं। कल तक जो नक्सली , सरकार की योजनाओं की धज्जियां उड़ाते थे , विद्यालय , समुदायिक भवन और सरकारी भवनों को अपने रास्ता का रोड़ा समझते थे। उन्हीं नक्सलियों के परिजन अब मुख्यधारा से जुड़ कर बिहार की विकास की गाथा लिख रहे हैं। नक्सलियों के तथाकथित परिजन कहीं लेमन ग्रास की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार हैं , तो कहीं इस इलाके में जलवायु के मुताबिक पैदा होने वाले कृषि कार्य कर अपनी आर्थिक संपन्नता सुदृढ़ कर रहे हैं। इसी कड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने काफिले के साथ गया जिला के बांके बाजार के बेला गांव पहुंचे हैं , जहां बंजर भूमि पर लेमन ग्रास की खेती का निरीक्षण कर रहे हैं। साथ ही बोधगया के सांस्कृतिक केंद्र में गया जिला सहित आसपास के इलाकों में हो रहे सरकारी योजनाओं का निरीक्षण भी कर रहे हैं

  

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