

सीतामढ़ी : घुसपैठ को लेकर एसएसबी का बड़ा एक्शन, बिना पहचान पत्र के प्रवेश पर लगाई पाबंदी, दोनों देशों के नागरिकों के लिए लगे नियम
- by Raushan Pratyek Media
- 08-Apr-2025
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सीतामढ़ी से अविनाश कुमार की रिपोर्ट
भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने नई दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत नेपाल से भारत में प्रवेश करने वाले सभी नागरिकों को अब पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है। यह कदम खासकर घुसपैठ और अपराधों की रोकथाम के उद्देश्य से उठाया गया है। एसएसबी द्वारा यह आदेश भारतीय और नेपाली नागरिकों पर समान रूप से लागू किया गया है। इसके तहत, सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है और प्रवेश करने से पहले सभी को अपनी पहचान प्रमाणित करनी होगी। सीतामढ़ी जिले में भारत-नेपाल सीमा 90 किलोमीटर है, वही बिहार के पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, और किशनगंज से होकर ये सीमा कुल 1,751 किलोमीटर लंबी है, दोनों देशों के बीच व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पर्यटन का प्रमुख मार्ग है। हालांकि, यह सीमा भारत के लिए सुरक्षा दृष्टिकोण से संवेदनशील रही है, क्योंकि इसका उपयोग अवैध गतिविधियों और घुसपैठ के लिए किया जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में, सीमा पर अवैध रूप से भारतीय और विदेशी नागरिकों का प्रवेश होने की घटनाएँ बढ़ी हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बनती हैं। इसके परिणामस्वरूप, एसएसबी ने इस पर कड़ी निगरानी और सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है।
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एसएसबी ने बोर्डर पर शुरू की जांच प्रक्रिया:
एसएसबी ने नेपाल सीमा से जुड़े सभी प्रमुख चेकपोस्टों पर सुरक्षा को मजबूत किया है। इन चेकपोस्टों में बैरगनिया, सोनबरसा, सुरसंड, भिट्ठामोड़, कन्हौली, कन्हमां, लालबंदी जैसे प्रमुख स्थान शामिल हैं, जहां सशस्त्र सीमा बल के जवान पूरी मुस्तैदी से तैनात हैं। अब तक इन सीमा चौकियों पर सिर्फ वाहनों की जांच की जाती थी, लेकिन अब सभी नागरिकों के पहचान पत्र की जांच की जा रही है। इसमें केवल भारतीय नागरिकों को ही नहीं, बल्कि नेपाली नागरिकों को भी अपने वैध पहचान पत्र दिखाने की आवश्यकता है। एसएसबी के जवान यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि किसी भी व्यक्ति को बिना पहचान के भारतीय सीमा में प्रवेश न करने दिया जाए।
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इन पहचान पत्रों की होगी आवश्यकता :
नेपाल से भारत में प्रवेश करने के लिए नेपाली नागरिकों को अपनी पहचान को प्रमाणित करने के नेपाली नागरिकता प्रमाण पत्र, नेपाल चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता पहचान पत्र और नेपाल मिशन द्वारा जारी सीमित वैधता वाला फोटो पहचान पत्र को मान्य किया गया है। वहीं, भारतीय नागरिकों के लिए नेपाल यात्रा से लौटने पर अपने पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य होगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल वैध नागरिक ही भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर सकें।
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सीमा पार अवैध गतिविधियाँ और सुरक्षा चिंताएँ:
सीमा पर बढ़ती सख्ती का कारण यह है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत-नेपाल सीमा से विभिन्न देशों के नागरिकों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करते हुए पकड़ा गया है। इनमें पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, नाइजीरिया और अमेरिका जैसे देशों के नागरिक शामिल थे। दो साल पहले, एक पाकिस्तानी युवती को भी भिट्ठामोड़ बॉर्डर पर अवैध रूप से भारत में प्रवेश करते समय पकड़ा गया था। ऐसे मामलों ने सुरक्षा एजेंसियों को यह एहसास दिलाया कि नेपाल से भारत में घुसपैठ और अपराधों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।
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खुली सीमा कई बार सुरक्षा खतरों का बन सकती है कारण:
भारत और नेपाल के बीच एक खुली सीमा है, जिससे दोनों देशों के नागरिक बिना किसी रुकावट के एक-दूसरे के देश में यात्रा कर सकते हैं। हालांकि, यह खुली सीमा कई बार सुरक्षा खतरों का कारण बनती है, विशेष रूप से तब, जब अवैध गतिविधियाँ होती हैं। अब भारत और नेपाल दोनों देशों के बीच सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर लगातार चर्चा हो रही है, और एसएसबी के कड़े कदम एक संकेत हैं कि दोनों देशों को एक साथ मिलकर सीमा सुरक्षा को बेहतर बनाने की आवश्यकता है।
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क्या कहते है अधिकारी:
नेपाली या भारतीय, सभी को फोटोयुक्त पहचान पत्र दिखाने के बाद ही भारतीय क्षेत्र में प्रवेश मिलेगा। इसका उद्देश्य दोनों देशों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। बिना पहचान पत्र के किसी भी नागरिक को भारत में प्रवेश करने की अनुमति न मिलने से घुसपैठ की घटनाओं में कमी आएगी, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
- गिरीश चंद्र पांडेय, कमांडेंट, 20वीं बटालियन, एसएसबी।

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