बरारी में 347 वा तीन दिवसीय महान शहीदी गुरूपर्व मानव कल्याण अरदास कर सम्पन्न हुआ

बरारी कटिहार से नीलम कौर की रिपोर्ट 





कटिहार जिलान्तर्गत बरारी प्रखंड का कांतनगर सिखों के नौंवे गुरू के चरण से असम यात्रा के दौरान धन्य हुआ था. प्रखंड के ग्राम पंचायतराज लक्ष्मीपुर में गुरूतेग बहादुर एतिहासिक गुरूद्वारा लक्ष्मीपुर में नौंवी पातशाही तेग बहादुर जी महाराज की 347 वां तीन दिवसीय महान शहीदी गुरूपर्व बुधवार को   तेग बहादर के चलत भयो जगत को सोक,  है है सब जग भयो जय जय सुरलोक हजुरी राज्ञी जत्था के द्वारा सजे दीवान में सर्व साध सगत को श्रवण कराया . जम्मू व पंजाब से आये कथावाचक ने व्याख्यान किया 24 नवंबर 1675 को मुगल शासक के खिलाफ खड़े होने के लिए दिल्ली में गुरु तेग बहादुर का सिर कलम कर दिया गया था. जो चांदनी चौक शीशगंज गुरूद्वारा साहिब है.

 मुगल सम्राट औरंगजेब ने कश्मीर के ब्राह्मण  को इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया तो ब्राह्मणों ने गुरु तेग बहादुर से मिलकर वृतांत सुनाया.  गुरुजी ने  औरंगजेब को  संदेश  भेजवाया कि मुगल सम्राट कश्मीरी पंडितों  को तभी परिवर्तित कर सकता है  अगर वह गुरु तेग बहादु से इस्लाम  परिवर्तित कराने में सफल होगा. राज्ञी जत्था द्वारा मनोहर कीर्तन शब्द गायन कर बताया कि सन 1666 के दौरान जब गुरु तेग बहादुर पटना में अपनी पत्नी, परिवार के सदस्यों और सिख  संगत को छोड़कर बिहार, असम, बांग्लादेश की यात्रा पर निकले. हेड ग्रंथी भाई जीवन सिंह ने गुरूग्रंथ साहिब के समक्ष मानव कल्याण अरदास कर कढ़ाह प्रसाद गुरू का लंगर अटूट बताया गया. पूर्व विधायक नीरज कमार, बरारी विधायक की पत्नी व जिप सदस्य गुणसागर पासवान, तख्त पटना साहिब के सदस्य लखविंदर सिंह, सूरत सिंह आदि ने शीश नवाया. देर संध्या तीन दिवसीय गुरूपर्व सम्पन्न हुआ

  

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