मधुमक्खी पालक बन रहे आत्मनिर्भर शहद के उत्पादन से जीवन में फैल रही खुशियों की मिठास

पूर्णियां से मलय झा की रिपोर्ट  

मधु या शहद रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला खाद्य पदार्थ है। शहद इकट्ठा करने के लिए ठंड का मौसम सबसे मुफीद माना जाता है। इस समय विभिन्न तरह के फूलों से मधुमक्खी पराग इकट्ठा करती है। इसको देखते हुए मधुमक्खी पालक अपने लकड़ी के हनी बॉक्स को लेकर हरियाली वाले क्षेत्र में पहुंचते हैं ताकि उच्च कोटि का शहद मिल सके। पूर्णियां जिले के रूपौली प्रखंड के मधुमक्खी पालक सालों से इस व्यवसाय से जुड़े हैं। वर्तमान में एन एच 107 के करीब केनगर प्रखंड के बनभाग के पास अपने 400 हनी बॉक्स को लेकर पिछले एक महीने से यहां रह रहे हैं। कुल दस लोग मधुमक्खी पालन में सहयोग कर रहे हैं। यहां बॉक्स के भीतर मधुमक्खी रस इकट्ठा करती है। मधुमक्खी पालक ने बताया कि कच्चा माल मुजफ्फरपुर, पटना कोलकाता सहित अन्य जगहों के व्यापारी के हाथ बेचते हैं इससे लाखों का मुनाफा होता है। उन्होंने कहा कि एक बॉक्स से लगभग 20 किलो शहद प्राप्त होता है। मधुमक्खी पालक ने बताया कि इसके बाद बॉक्स को लेकर सरसों खेत के नजदीक पहुंचेंगे। मधुमक्खी पालक प्रशिक्षण लेकर अब अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं। अपने बॉक्स को लेकर अररिया, कटिहार, भागलपुर सहित दूसरे प्रांत भी जाते हैं। इस दौरान अस्थायी टेंट बनाकर रहना पड़ता है। यहीं पर रहना और खाना होता है। शहद के उत्पादन से जीवन खुशहाल है।

  

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