पटना के वो बदनाम गालियां जहां खुलेआम होती है बड़ी तस्करी


पटना :-शराबबंदी के बाद शहर में गांजे और अफीम का कारोबार बहुत तेजी से फैल रहा है। स्कूल-कॉलेज तक के बच्चों में इसकी लत लगती जा रही है। शहर में कई पान गुमटियों पर आसानी से गांजा-अफीम मिल रहा है। खुलेआम यह नशे की पुड़िया कहां से आ रही हैं, जब इसकी तलाश शुरू की गई तो नशे वाली गली के बारे में पता चला। पटना जंक्शन के पास कबाड़ी बाजार है। इस बाजार के बीचों बीच एक गली है जहां कई झोपड़ियां और ठेले लगे रहते हैं। ठेले पर बैग लेकर लोग बैठे रहते हैं। बैग में अलग-अलग तरह की पुड़िया होती हैं। एक पुड़िया की कीमत 100 से 2000 रुपए तक होती है। एक-दो बार पुलिस ने कार्रवाई करने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाए। 

चारों ओर गांजे का धुआं

जब प्रत्येक न्यूज लाइव से हमारे संवादाता दीपक कुमार  इस गली में पहुंचा तो चारों तरफ गांजे का धुआं फैला हुआ था। गली में प्रवेश करते ही एक झोपड़ी थी, जिससे 25-26 साल के कुछ लड़के लड़खड़ाते हुए निकल रहे थे। इस झोपड़ी के बाहर कुछ लोग चिलम में तो कुछ सिगरेट में गांजा भरकर पी रहे थे। आगे बढ़ने पर एक ठेला मिला, यहां 20-25 लोग खड़े थे। सब पुड़िया मांगने में जुटे थे। ठेले पर बैठा आदमी नोटों की मोटी गड्डी लिए रुपये गिन रहा था और पुड़िया निकालकर दे रहा था। गली में करीब 80-90 लोग थे, सभी नशे में डूबे हुए थे। 

पूरे पटना में यहीं से सप्लाई होता है गांजा

दीपक कुमार  रिपोर्टर ग्राहक बनकर एक ठेले पर पहुंचा। जब उसने पूछा कि गांजा मिलेगा तो जवाब मिला हां, देसी या विदेशी। देसी गांजा 100 रुपए से 1000 रुपए तक का है, विदेशी 2000 रुपए का। विदेशी क्या होता है? तो ठेले पर बैठे व्यक्ति ने जवाब दिया कि यह नेपाल जैसे दूसरे देशों का गांजा होता है। अच्छा, कितना बेच लेते हो? इस पर उसका कहना था कि हर दिन 2-3 लाख रुपए का माल तो बिक ही जाता है। पूरे पटना में गांजे की सप्लाई यहीं से होती है। 

पुलिस का कैसा डर

इसके बाद स्टिंग ऑपरेशन करते हुए हमारे संवादाता दीपक कुमार दूसरे ठेले पर पहुंचा, वहां भी बैग में पुड़िया लिए एक आदमी बैठा हुआ था। उससे रिपोर्टर ने पूछा कि हमें गांजा हॉस्टल में चाहिए, भिजवा देंगे? उसने जवाब दिया, जहां कहेंगे वहां भेज देंगे। यहां से कई हॉस्टल में पुड़िया जाती हंै। इसके अलावा स्कूल के बाहर भी पुड़िया यहीं से भेजी जाती हंै। कई स्कूल-कॉलेज के बच्चे हमारे ग्राहक हैं, सभी यहीं से पुड़िया लेकर जाते हैं। पुलिस का तो कोई चक्कर नहीं है? इस पर कारोबारी का कहना था कि डरिए मत, यहां कोई नहीं आता। बाकी पुलिस तो अपनी दोस्त है। इसलिए कोई फिक्र नहीं, जब जहां कहोगे, पुड़िया पहुंचवा देंगे।

  

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