नाटक के विकास को लेकर रंगकर्मियों ने किया परिचर्चा


साहित्य, संस्कृति ,सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए रेणु रंगमंच संस्थान पूर्णिया ने कला भवन, नाट्य विभाग पूर्णिया के सहयोग से नाट्य परिचर्चा का आयोजन किया। नाटक के विषय वस्तु से युवा वर्ग के लोगों को परिचित कराना जरूरी है। नाट्य परिचर्चा में कसम कसबा सांस्कृतिक मंच के निर्देशक सुचित कुमार पप्पू ने कहा कि रंगमंच के क्षेत्र में नाटक के जरिए हम बहुत कुछ कर सकते हैं नाटक को समझने की जरूरत है। उन्होंने पूर्णिया जिला में नाट्य महोत्सव का आयोजन करने का आग्रह किया। नाट्य परिचर्चा  में उपस्थित वरिष्ठ रंगकर्मी विश्वजीत कुमार सिंह ने कहा कि रंगमंच समाज का आईना होता है हम रंगमंच के माध्यम नाटक में जो दिखाते हैं वह समाज को सही रास्ता दिखाता है। आज पूर्णिया जिला के रंगमंच की गतिविधि बहुत कम हो चुकी है। पूर्व के रंगमंच पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने यहां के स्थानीय कलाकार और संस्थाओं को आग्रह किया कि वह कलाभवन नाट्य विभाग से जुड़े और प्रत्येक माह नाटक का आयोजन हो इसके लिए कला भवन नाट्य विभाग हमेशा सहयोग करेंगी। नाट्य परिचर्चा में रंगकर्मी अंजनी श्रीवास्तव ने कहा कि नाटक का संबंध बहुत पुराना है हम जो करते हैं वह आप देखते हैं और आप जो करते हैं वह हम देखते हैं यह सब नाटक है। रंगकर्मी शिवाजी राव ने कहा कि आज रेणु रंगमंच संस्था द्वारा नाट्य परिचर्चा के आयोजन से यहां के रंगकर्मियों को फायदा होगा। एक नई ऊर्जा का विस्तार होगा। रंगकर्मी गरिमा कुमारी ने बताया कि 1996 से रंगकर्म से जुड़ी हूं और आज अच्छा लगता है कि नाटक के जरिए हम समाज को कुछ दे रहे हैं। आज जरूरत है समाज को नाटक के माध्यम विकसित करने की। नाट्य परिचर्चा में पिंकी कुमारी, संजय मंडल, अभिनव आनंद,राज श्रीवास्तव, बादल झा, आशुतोष कुमार, ने अपने अपने विचार रखे। रेणु रंगमंच संस्थान के उपाध्यक्ष नेहा ने कहा कि नाट्य परिचर्चा के आयोजन से युवा पीढ़ी को कुछ सीखने को मिलेगा। नाटक ऐसी विधा हैं जो हमें कुछ सीखने और समाज को सुधारने का संदेश भी देती है। कुछ कारणों से गतिविधि कम हो चुकी थी। आज नाट्य परिचर्चा का आयोजन से संस्थान मैं एक नई ऊर्जा का संचार हुआ हैं। एक वो दशक था जिसमें हमेशा नाटक होता था आज ना के बराबर नाटक हो रहा है। परिचर्चा में नीलू सिंह, विकास, आरजू परवीन, जिया खान, रिया खान, जीत सिंह, रोहित, राज रोशन, इत्यादि दर्जनों कलाकार मौजूद थे।

  

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