तेरह मील गंगा कटाव का दंश झेल रहे चार लाख आबादी को काढ़ागोला गंगा पूल बड़ी समस्या

बरारी कटिहार से नीलम कौर की रिपोर्ट

कटिहार जिला के बरारी विधानसभा 68 मुख्यालय बरारी प्रखंड की सबसे बड़ी समस्या काढ़ागोला गंगा पूल की अनदेखी , विस्थापित परिवार की समस्या , किसानों की बड़ार जमीन की लगान माफी नही होना . जमीन पर दबंगों का कब्जा जैसी कई समस्याओं से जूझ रहा प्रखंड की जनता की समस्या का निदान करने वालों की उदासीनता का शिकार बना हुआ हैं . प्रखंड मुख्यालय से काढ़ागोला गंगा घाट जाने में तीन घंटा की दूरी तय करनी पड़ती थी . गंगा कटाव की जद में आकर अब मात्र पन्द्रह मिनट में गंगा तट पहुंच जाते हैं . कटाव की ऐसी त्रासदी चली कि काढागोला पंचायत एवं जौनिया पंचायत गंगा में विलिन हो गया . हजारों घर गंगा में तबाह एवं बर्बाद हो गये . कई रसूख वाले नेता एवं जनप्रतिनिधि को जनता ने सदन तक भेजा लेकिन जनता की समस्या आज भी समस्या हीं बनी रही . काढागोला गंगा पर पूल बनाने की मांग एक अर्से से की जा रही हैं . समस्या की मांग करने में कईयों पर मुकदमा भी दर्ज हुआ जेल भी गये लेकिन प्रखंड से सदन तक किसी के कान पर जूं तक नही रेंगा . भारत चीन युद्ध 1962 में भारतीय सेना आयुध लेकर काढ़ागोला गंगा नदी से दार्जलिंग तक बनी गंगा दार्जलिंग सड़क से सेना आयुध लेकर आगे बढ़ी थी . उस समय भवानीपुर के जमींदार सरदार मीत्तल प्रसाद सिंह ने सेना के स्वागत में लंगर चलवाया था . सेनानायक ने सामरिक दृष्टिकोण से काढागोला गंगा पर पूल निर्माण की महत्व को दर्शाय था . काढागोला गंगा पूल बनाने के लिए काढ़ागोला गंगा घाट से पीरपैंती की ओर एवं फूलवरिया की ओर करीब डेढ़ सौ फीट सरकार की सड़क की जमीने हैं . पूल निर्माण कार्य से बिहार , झारखंड , नेपाल , पश्चिम बंगाल आदि से सीधा सम्पर्क जुड़ जायेगा . विधानसभा की छह लाख आबादी व्यवसाय से जुड़ेगी . किसानों की करीब लाख एकड़ खेती एवं बसोवास की जमीन उनके हाथ लगेगी . विस्थापित का दंश झेल रहे परिवार में खुशी के पल जुड़ सकेंगे . बताना होगा कि भारत सरकार की अन्तेर्शीय जहाज का परिचालन काढागोला घाट से कहलगाँव के लिए भारी वाहन एव सवारी को दो खेपों में रोजाना चलाया करती थी . काढागोला गंगा घाट पर रोजगार की भरमार थी . गिट्टी , बालू , बोल्डर का व्यापक कारोवार होता था . उसवक्त जयंति सिंह , हरि चौधरी, महेन्द्र दीक्षित कारोवार के धनी थे . जहाज से कहलगांव , भागलपुर , पीरपैत आदि जाने के लिए पूर्णिया , कटिहार , सहरसा , किशनगंज , अररिया , फारबीसगंज आदि से लोग काढ़ागोला घाट से जहाज से यात्रा कर गंतव्य स्थान जाते थे . कटाव की ऐसी त्रासदी आई लगातार आती रही कि हजारों लोग कटाव के कारण विस्थापित होने का दंश झेल रहें हैं . जिसका समाधान वर्षों बाद भी नहीं हुआ . प्रखंड में आज भी विस्थापित परिवार सरदार नगर भवानीपुर बैसागोविंदपुर , डहरा , बिसनपुर , बकिया सुखाय , सुखासन , दुर्गापुर , कांतनगर , देबड़ा , राजापाखड़ , गुरुमेला , पूर्वी बारीनगर , उतरी दक्षिणी भण्डारतल आदि सैकड़ों गाँव एवं हजारों परिवार गंगा कटाव में अपना सबकुछ गवां कर त्रासदी पर आज भी आंसू बहा रहे हैं . इस चुनाव में भी जनता की मांग काढागोला गंगा पर पूल का निर्माण से जनता की अस्सी फीसदी परेशानी एवं जनसमस्या दूर हो सकती हैं .

  

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