मधुबनी-डॉ.अंजना मिश्रा राज्यपाल के हाथों डॉक्टरेट उपाधि एवं भारत गौरव श्री सम्मान से सम्मानित,बधाई देनें का चल रहा सिलसिला




किशोर क़ुमार ब्यूरो 


मधुबनी के लदनिया प्रखंड के गाँव गजहरा निवासी प्रसिद्ध अधिवक्ता स्वर्गीय रघुनंदन मिश्रा हीरा बाबु की पुत्रवधू एवं मुरारी मिश्रा,पूर्व महाप्रबंधक,महानदी कोलफ़ील्ड्स लिमिटेड की धर्मपत्नी डॉक्टर अंजना मिश्रा उर्फ डॉली मिश्रा को ओडिशा के राजधानी भुवनेश्वर मे विश्व मानवाधिकार सुरक्षा आयोग द्वारा आयोजित भव्य सेमिनार मे छतीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल विस्वाभूषण हरिचंदन द्वारा सामाजिक कार्यों मे सराहनीय कार्यों के लिए एकसाथ दो पुरस्कारो से नवाजा गया! जिसमें पहला विश्व मानवाधिकार सुरक्षा आयोग की तरफ से डॉक्टरेट की उपाधि एवं भारत सरकार की ओर से भारत गौरव श्री से सम्मानित किया गया!डॉक्टर अंजना मिश्रा उर्फ डॉली मिश्रा को मिले इस सम्मान से परिजनों मे खुशी की लहर है!वे अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे है!इसे लेकर उन्हें लोगो द्वारा बधाई देनें का सिलसिला चल रहा है! 


आपको बता दे की डॉक्टर अंजना मिश्रा उर्फ डॉली मिश्रा का मायका दरभंगा जिला के पिण्डारुछ मे है उनके पिताज़ी पूर्व न्यायाधीश निशीकांत चौधरी है!उनका समाज मे बड़ा नाम है!पति के सेवानिवृत्ति के बाद फिलहाल मधुबनी नगर के बिनोदानंद झा कॉलोनी मे बने अपने आवास मे वह रह रहीं है!वे बताती है की अब वह मधुबनी मे रहकर अपने सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ाने का कार्य करेगी!सम्मान प्राप्त करने के बाद अभिभूत डॉक्टर अंजना मिश्रा उर्फ डॉली मिश्रा ने इसके लिए भारत सरकार,महामहिम राज्यपाल एवं विश्व मानवाधिकार सुरक्षा आयोग का धन्यवाद अदा की है!


डॉक्टर अंजना मिश्रा उर्फ डॉली मिश्रा ने अपने सामाजिक कार्यों का उल्लेख करते हूए बताया है की समाज सेवा मेरा शौक नहीं जूनून है,जिसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल से 1992 में AIWC से जुड़ कर हुई, जिसमें  हमने प्रौढ़ शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया। उसके बाद 2002 से छत्तीसगढ़ में भी अनेकानेक समाजिक कार्य में संलग्न रही,2007में ओडिशा  आने के बाद पूरी तन्मयता से समाज सेवा में लगी रही!मैंने बहुचर्चित स्वच्छता अभियान 2011 में किया जो बेहद सफल रहा,उस समय हमारे समाज में स्वच्छता को लेकर जागरूकता बिल्कुल नहीं थी।अक्सर रक्त दान शिविर का आयोजन की हूं जिसमें  मैं स्वयं भी रक्तदान  करती हूं,,साल में दो बार अवश्य करती हूँ!अनाथालय और वृद्धाश्रम को निजी तौर पर हर संभव मदद करती रही हूं।उन्होंने बताया की कोरोना महामारी के दौरान हमने युद्ध स्तर पर  जागरूकता अभियान, मास्क और सेनेटाइजर वितरण किया साथ ही ऐसे लोग जिनकी कोरोना से मृत्यु होने के बाद उनके परिवार वाले भी शरीर को कहीं छोड़ जाते थे उनका अंतिम संस्कार भी हमलोग करते थे!पर्यावरण की सुरक्षा  के लिए बहुतायत मात्रा में वृक्षारोपण की हूँ!प्लास्टिक प्रतिबंध के लिए जगह जगह अभियान चलायी हूं, जिसमें कपड़े और कागज़ से बने बैग के उपयोग से फायदा और प्लास्टिक से होने वाले नुकसानों के प्रति सचेत करना! 

अक्सर ट्रैफिक के नियमों  को अनदेखा करने के कारण सड़क दुघर्टना होती है, उसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जागरुकता अभियान!जेल और बाल सुधार गृह में जाकर उनके आचरण में बदलाव के लिए धार्मिक और शैक्षणिक कार्यक्रम का आयोजन करना।बाढ़ और आगजनी से पीड़ित घरों को तत्काल राहत सामग्री उपलब्ध करना।अच्छे स्वास्थ्य के लिए योग् का महत्व बहुत अधिक है,समय समय पर योग शिविर का आयोजन करना।उन्होंने बताया की उनके सामाजिक कार्यों मे उनके पति एवं परिजनों का भरपूर सहयोग और मार्गदर्शन मिल रहा है!

  

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