

मधुबनी-सखी बहिनपा मैथिलानी समूह ने धूमधाम से मनाया माँ जानकी महोत्सव,भगवती गीत से माँ की आराधना
- by Raushan Pratyek Media
- 27-Apr-2023
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किशोर कुमार ब्यूरो
विश्वप्रसिद्ध संस्था सखी बहिनपा मैथिलानी समूह के मधुबनी इकाई की प्रभारी छाया मिश्रा के नगर मे स्थित आवास पर समूह की सखियों ने धूमधाम से जानकी महोत्सव मनाया!इस मौके पर सखी बहिनपा मैथिलानी समूह की सखियों द्वारा दीप जलाकर एवं केक काटकर माँ जानकी का जन्मोत्सव विधिवत रूप से मनाया गया!इस अवसर पर समूह की सखियों ने जय-जय भैरवी असुर भयावनी के साथ अन्य भगवती गीत गाकर माँ जानकी का आराधना किया और माँ जानकी को ख़ुद से बनाई हुई प्रसाद का भोग लगाकर पुजा अर्चना किया!इस अवसर पर सखी बहिनपा मैथिलानी समूह के मधुबनी इकाई की प्रभारी छाया मिश्रा एवं समूह की सखियों ने बताया की मिथिला की धरती बहुत ही पावन व पुण्य की धरती हैं जहाँ माँ जानकी का जन्म हुआ था!उन्होंने बताया की हमलोग भी मिथिला मे ही जन्म लिए हैं इसलिए माँ जानकी का हमलोग स्वरूप हैं!उन्होंने बताया की माँ जानकी से सखी बहिनपा व मिथिला के उन्नति एवं तरक्की का प्रार्थना किया हैं!जानकी महोत्सव मनाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि इस दिन माता सीता का जन्म हुआ था!इसलिए लोग माता सीता का जन्मोत्सव मनाने के लिए जानकी जयंती मनाते है!मान्यता है कि इस जयंती पर कुंवारी महिलाएँ माता सीता की पूजा करती है और एक अच्छे वर प्राप्ति की कामना करती है,विवाहित महिलाओं के लिए तो यह जयंती बहुत खास होती क्योंकि जानकी जयंती ज्यादातर विवाहित महिलाएँ ही मनाती क्योंकि इस दिन विवाहित महिलाएँ अपनी पति की आयु में वृद्धि हो ऐसी माता सीता से कामना करती है और उनके प्रति अपनी इच्छाए प्रकट करती है!आपको बता दे की पौराणिक मान्यताओं और रामायण के अनुसार: एक मिथिला नामक राज्य था,जहाँ पर कई सालों तक वर्षा नहीं हुई और उस क्षेत्र में अकाल पड़ गया था!उस वहां के राजा माता सीता के पिता जनक थे!अकाल के चलते उस क्षेत्र की स्थिति इतनी खराब हो गई जिससे राजा जनक काफी परेशान हुए!तब इस समस्या को हल करने के लिए ऋषियों ने राजा जनक को एक उपाय बताया कि आप स्वयं यज्ञ करके खेत में हल चलाओ यह सुनकर राजा जनक ने ठीक वैसा ही किया जैसे ऋषियों ने उन्हें बताया था!जब राजा जनक खेत में हल जोतने गए तब उनका हल खेत की मिट्टी में फंस गया! राजा जनक ने उस हल को बहार निकालने के लिए काफी प्रयास किया लेकिन जनक उस हल को निकाल नहीं पाए. फिर राजा जनक ने हल के चारों ओर जमी मिट्टी अपने सैनिकों से छाप करवाई!जैसे ही हल बहार निकला तो नीचे कलश में से एक छोटी बच्ची निकाली,जिसके बहार निकलते ही मिथिला राज्य में वर्षा होने लगी!यह देख राजा ने अपनी कोई संतान न होने के कारण उसे अपनी पुत्री बना लिया तत्पश्चात उसका नाम सीता रखा गया था!मौके पर समूह की सखियों मे रागिनी मिश्रा,कल्पना सिंह वंदना झा नीरजा सिंह,गीता झा,रजनीझा ,महालक्ष्मी,आरती,रीना सर्राफ,सुभाषनी झा ,आरती झा,गुड़ियी ,भारती झा ,कल्पना झा,किशोरी झा के साथ अन्य मौजूद रहीं!वहीं सभी का उत्साहपूर्ण उपस्थिति के लिए प्रभारी छाया मिश्रा ने आभार प्रकट किया!

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