मुंगेर : सात दिवसीय श्रीराम कथा का चौथे दिन भगवान राम की बाल लीला अद्भुत : देवकीनंदन भारद्वाज

मुंगेर/बिहार।


विश्वमोहन कुमार विधान।


तारापुर नगर के धौनी दुर्गा स्थान मंदिर परिसर वार्ड नंबर-15 में चल रही श्रीराम कथा के अंतर्गत कथा वाचक देवकीनंदन भारद्वाज महाराज ने प्रभु श्री राम की बाल लीला,मातृ पितृ भक्ति,विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण का वन गमन, तड़का तथा सुबाहु का वध, अहिल्या उद्धार,गंगा की महिमा, जनकपुर भ्रमण,धनुष यज्ञ तथा राम सीता के विवाह की सुंदर कथा का वर्णन कर रामचरितमानस के बालकांड के पावन पुष्प को प्रभु के श्री चरणों में समर्पित किया।


देवकीनंदन भारद्वाज महाराज बताते है कि प्रभु श्रीराम सहित चारों भाइयों के दिव्य जन्मोत्सव की कथा प्रसंग में भगवान शंकर ने पार्वती जी से कहा कि प्रभु श्री राम के बाल रूप का दर्शन करने के लिए वे स्वयं वृद्ध ब्राह्मण का रूप धारण कर तथा काग भूसुंडी जी बालक का रूप धर और उनका शिष्य बन कर श्री अवध में पहुंचे थे।भगवान की नजर उतारने के बहाने साने शिशु रूप में दर्शन किए थे।चारों भाई महल से बाहर बच्चो साथ दिनभर खेलते हैं तथा राजा दशरथ के बुलाने पर भी बाल समाज को छोड़कर नहीं आते बाद में माता कौशल्या दौड़कर बालक राम को पकड़ लेती है।दशरथ जी ज्ञान के प्रतीक हैं और कौशल्या भक्ति की प्रतीक है और जीवन का सूत्र है कि भक्ति की कृपा से ही भगवान ज्ञान की गोद में आ सकते हैं। चारों भाइयों को महाराज दशरथ ने विद्या अध्ययन के लिए वशिष्ठ जी के आश्रम में भेजा है। इसी दौरान विश्वामित्र नाम के ऋषि अवध में महाराजा दशरथ की राज्यसभा में पहुंचते हैं तथा यज्ञ में विघ्न डालने वाले राक्षसों के विनाश के लिए राम और लक्ष्मण को मांग कर अपने साथ ले जाते हैं।वन में श्रीराम ताड़का और सुबाहु का वध करते हैं तथा बिना बाण मार कर मारीच को सौ योजन दूर समुद्र के किनार फक देते हैं।इस मौके पर काफी संख्या में महिला और पुरूष श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।

  

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