

बेगूसराय जिले के प्रसिद्ध गंगा ग्लोबल बीएड कालेज में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के 117 वीं जयंती पर याद किएगे
- by Raushan Pratyek Media
- 23-Sep-2025
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प्रशान्त कुमार ब्यूरो चीफ
बेगूसराय जिले के प्रसिद्ध गंगा ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन में आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि, लेखक व निबंधकार राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 117 वीं जयंती पर उन्हें याद कर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित किया। कार्यक्रम का उद्घाटन साहित्य के धनी, प्रसिद्ध कवि व पूर्व प्रधानाचार्य जे.के. इन्टर महाविद्यालय डॉ सचिदानंद पाठक, कार्यक्रम प्रभारी डॉ कामायनी कुमारी तथा सभी प्राध्यापकों ने संयुक्त रूप से किया। डॉ कामायनी कुमारी ने कहा कि वीर रस के महाकवि रामधारी सिंह दिनकर बेगूसराय के गौरव थे। नौजवानों को अपनी कविताओं से हमेशा प्रेरित किया। सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। कर्म में निष्ठा आवश्यक है। विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्य के धनी, प्रसिद्ध कवि व पूर्व प्रधानाचार्य जे.के. इन्टर महाविद्यालय डॉ सचिदानंद पाठक ने रामधारी सिंह दिनकर के संबंध में कहा कि राम के चरित्र को धारण कर लें वो रामधारी है। पाश्चात्य संस्कृति के चकाचौंध में हम आज उलझते जा रहे हैं। नामांकरण में सावधानी जरूरी है। जय शंकर प्रसाद की कालजयी रचना है कामायनी। कविता भवन का नहीं भावना का विषय है। इसलिए भवन में बैठकर रचना संभव नहीं है। दिनकर शब्द के श्रृंगारी थे। स्वभाव और प्रभाव में अंतर है। दिनकर जी ने अपनी रचना किसी एक जाति के लिए नहीं लिखी बल्कि समस्त पाठकों के लिए लिखी। आज बेगूसराय कण-कण स्मरण कर रहा है। दिनकर केवल राष्ट्रकवि ही नहीं वे दुनिया और ब्रह्मांड के कवि हैं। प्राचार्य डॉ नीरज कुमार ने दिनकर जी को नमन करते हुए कहा कि शिक्षकों को दिनकर जी के व्यक्तित्व और कृतित्व से अवगत होने की आवश्यकता है। रश्मिरथी कुरूक्षेत्र और संस्कृति के चार अध्याय की संक्षिप्त चर्चा की। प्रशिक्षु सिद्धि, विनीत, पूजा प्रिया, साक्षी, शालिनी, जुली, अनीशा, काजल, श्वेता, आलोक, अंकित, रूची, चंदा, सोनम, गौरव, मन्नू, शिवम, विशाल आनंद, शिप्रा, सरस्वती, सौरभ, रौशन शाह, गुड़िया, रानी, रोहित, प्रेम प्रकाश, राजन, भानुप्रिया, कोमल, रोशनी सिन्हा, रिचा, मिट्ठू तथा अनुकृति ने दिनकर जी की प्रसिद्ध रचनाओं को प्रस्तुत किया। प्रो परवेज़ यूसुफ़ ने सभी विषयों के प्रशिक्षुओं को हिन्दी साहित्य को पढ़ने की सलाह दी। कहा दिनकर जी को पढ़ें समझें। धन्यवाद ज्ञापन के साथ प्रो विपिन कुमार ने कहा कि साहित्य को जीना चाहिए। भावी शिक्षक को सलाह दी मंच संचालन प्रशिक्षु शशांक हर्ष और श्रुति कुमारी ने किया। इस मौके पर अवसर पर प्रो परवेज़ यूसुफ़, प्रो अमर कुमार, डॉ अनीता एस, डॉ अविनाश कुमार, प्रो कुंदन कुमार तथा डॉ राजवंत सिंह के साथ प्रशिक्षु व कार्यालय कर्मी उपस्थित थे।

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