प्रतिपक्ष के नेता राहुल गाँधी पर किए गए टिप्पणी पर अमिता भूषण ने व्यक्त की प्रतिक्रिया




प्रशान्त कुमार की रिपोर्ट


 

बेगुसराय :  राजनैतिक बयानबाजी उतनी बुरी नहीं होती अगर उसमें तथ्य, नैतिकता और शालीनता हो। परन्तु यदि बयान आदतन, तथ्यहीन और और किसी व्यक्ति विशेष क़े प्रति घृणा क़े लिये हो तो यह लोकतान्त्रिक कतई नहीं होती। बेगूसराय सांसद ने प्रतिपक्ष क़े नेता राहुल गांधी के भाषण पर दी गईं प्रतिक्रिया कुछ इसी तरह से विद्वेषपूर्ण नजर आती है। राहुल गांधी ने अपने वक्तव्य में हिन्दू धर्म को जिस गरिमापूर्ण तरीके से सत्य,अभय और अहिंसक बताया वाह हर सनातन धर्मियों के लिये प्रकाश पुंज की तरह है पर धर्म की ठेकेदारी कर राजनीती करने बालों के लिये यह थोड़ा तीखा तो है ही। चुनाव के दौरान की बयानबाजी थोड़ी अनदेखी भी की जा सकती है पर अब तो चुनाव भी खत्म हुए अब जनता द्वारा दी गईं जिम्मेदारियों का बोझ उठाने का वक्त है। जिले की समस्याओं को संजीदगी से हल करने  का समय है ऐसे समय में निरर्थक बयानबाजी कर मुद्दों को भटकाना जनादेश का अपमान है। सांसद के पास मंत्रालय है  इनके मंत्रालय और स्वयं सांसद  के विकास की ललक होती तो रेशम जैसे उद्योग की बेगूसराय में अपार सम्भावना हो सकती थी। इसके बजाय निरर्थक मुद्दों पर  अपनी ऊर्जा गंवा रहे हैं। बीजेपी की व्यक्तिगत सम्पति और आस्था है। मुद्दों से भटकने का अंजाम भाजपा लोकसभा चुनाव में भुगत चुकी है। ऐसे बयानो से सांसद अपना और और अपने दल दोनो को नुकसान पहुंचा रहे है क्यूंकि सच जनता को बखूबी समझ आ चुकी है।

  

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