बक्सर - इस थप्पड़ की गूंज का आखिर क्या हैं रहस्य, जाने इस वायरल वीडियो की पड़ताल में दर -परत -दर सच्चाई।

रिपोर्ट - सुमन्त सिंह, बक्सर।

बक्सर -  जिले के डुमरांव अनुमंडल पदाधिकारी राकेश कुमार का एक वीडियो इन दिनों सोशल मिडिया पर बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है, और लोगों का इसपर अलग - अलग कॉमेंट्स भी आने लगे हैं, कोई इसे प्रशासन की तानाशाह रवैया बता  रहा हैं तो कोई इसे प्रशासन द्वारा   बालू माफियाओं पर नकेल कसने और ग्रामीण इलाकों में ध्वस्त होती जा रही सड़को पर रोक लगाने की दिशा में की जा रही ठोस कार्यवाही बताया है। औऱ वहीं कुछ लोगो द्वारा  वीडियो में ड्राइवर को थप्पड़ जड़नेवाले एसडीएम को  ईमानदार और कर्तव्यनिष्ट बताते हुए ये जानने का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर ऐसी नौबत आने के पीछे का रहस्य क्या है। 


तो वहीं कुछ लोगो द्वारा इस वायरल वीडियो के जरिये सोशल मीडिया पर जातीयता का राग भी अलापा जाने लगा है। ऐसे कई और अन्य टिप्पणीयां सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहे हैं।


वहीं इस वायरल वीडियो से सोशल मीडिया पर मचे घमासान को लेकर जब हमने इसकी दर - परत - दर सच्चाई जानने का प्रयास किया। तो जो भी तथ्य सामने आये वो निश्चित तौर पर हैरान कर देनेवाले है।

आपको बताते चले कि वीडियो में साफ तौर पर दिख रहा हैं कि डुमरांव अनुमंडल पदाधिकारी राकेश कुमार एक ट्रक ड्राइवर से उसके गाड़ी में लदे बालू का कागजात दिखाने को कहते है और इनके कागजात मागने के साथ ही ड्राइवर अपने साथी से कागजात मांगता है, इतने में ही एसडीएम द्वारा ड्राइवर को दो थप्पड़ जड़ दिया जाता है। वही इस वीडियो में बक्सर जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल भी नजर आ रहे है जो इशारो से ही ऐसा करने से मना करते दिख रहे है।

 निश्चित तौर पर इस वायरल वीडियो के इस पहलू को देखा जाय तो  प्रथम दृष्टया प्रशासनिक अधिकारियों को तानाशाह कहना कहीं से भी गलत नहीं होगा।

मगर वही जब इस वीडियो की दूसरे पहलू यानी थप्पड़ के पीछे की वजह जानने को लेकर जिलाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने टेलीफोनिक संवाद के जरिये बताया कि ग्रामीण सड़को पर बालू लदे ट्रक की चेकिंग के दौरान ट्रक ड्राइवर से जब एसडीएम द्वारा कागजात की मांग की जा रही थी तो उसके द्वारा करीब 15 मिनटों से गलत कागजात दिखाकर भटकाने का प्रयास किया जाता रहा और अन्ततः ड्राइवर द्वारा लगातार ऐसी गलती दोहराये जाने की वजह से  उसके साथ ऐसी घटना घटित हुई। 

गौरतलब है कि 17 मई दिन शनिवार को जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल केशोपुर प्लांट के पास गंगा कटाव निरोधक कार्यो का निरीक्षण कर  ग्रामीण सड़को से गुजरते हुए बक्सर आ यह थे। तभी उन सड़को से बालू लदा गुजर रहा था, जिसे रोककर उससे संबंधित सही कागजातों की मांग साथ मे मौजूद एसडीएम राकेश कुमार द्वारा की गई। मगर ट्रक ड्राइवर द्वारा करीब 15 मिनटों से गलत कागजात दिखाते हुए बरगलाया जा रहा था, तभी केशोपुर गंगा कटाव निरोधक कार्यो का निरीक्षण कार्यक्रम का कवरेज करने गए  जिले के कई राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय चैनलों के पत्रकार भी उसी रास्ते से लौट रहे थे। तभी उन्होंने जिलाधिकारी और एसडीएम को गाड़ी चेक करते हुए पाया तभी इसी दौरान एसडीएम द्वारा ड्राइवर की पिटाई कर दी गयी, और ये घटना उनके कैमरों में कैद हो गई। 


हद तो तब हो जाती है कि जब पत्रकारों द्वारा घटनास्थल पर मौजूद होने के बावजूद भी वहीं पर पहले से मौजूद जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल से इस थप्पड़ के पीछे की वजह जानने का प्रयास किये बगैर ही सिर्फ एक पहलू को दर्शाते हुए इसे  "वायरल वीडियो " का नाम दे दिया गया। 

हालांकि वहाँ मौजूद कुछ पत्रकारों से बात करने पर उन्होंने बताया कि शायद कहीं ना कहीं ट्रक ड्राइवर दोषी था और इन बालू माफियाओ पर अंकुश लगाने को लेकर की गई ऐसी कार्यवाई गलत प्रतीत नहीं होती। 

क्योंकि इनके अंदर जबतक प्रशासन के प्रति भय व्याप्त नहीं होगा तब तक ग्रामीण सड़को पर इनके बढ़ते आवागमन पर रोक नहीं लग पाएगी। और  ध्वस्त होती जा रही सड़को की वजह से बढ़ती दुर्घटनाओं को रोका नही जा सकता। वहीं उन्होंने इस घटना का एक पहलू इस वीडियो के जरिये वहाँ सभी का मौजूद होने के बावजूद  भी  "वायरल वीडियो" का नाम देना  सरासर गलत है।

वहीं इस वायरल वीडियो के जरिये सोशल तथा अन्य मीडिया चैनलों पर इस थप्पड़ की गूंज इस कदर उठी की समाज के हर वर्गों तक पहुंच गई हैं। जिसपर लोगों द्वारा थप्पड़ मारने जैसी स्थिती के पीछे की वजह जानने की आवाज भी उठाई जाने लगी है।

वहीं इस वीडियो के दूसरे पहलू की बात करें तो जिलाधिकारी तथा एसडीएम समेत सभी को ड्राइवर द्वारा करीब 15 मिनटों तक बरगलाते हुए सही कागजात प्रस्तुत नही किया जा रहा था।जिसका कुछ वीडियो भी साक्ष्य के रूप में हमारे पास मौजूद हैं। 

वही इस मामले को लेकर कुछ लोगो का ये भी कहना हैं कि जिस तरह से बालू माफियाओं का बक्सर की सड़को पर आतंक फैला है और ग्रामीण इलाकों की सड़के इनकी वजह से बदतर स्थिती में पहुंच गई हैं , ऐसे में बिना कड़ा रुख अपनाये इन माफियाओं पर शिकंजा कसना मुश्किल ही नही बल्कि  नामुमकिन  है, और ग्रामीण इलाको के ध्वस्त सड़को पर  दुर्घटनाओ की वजह से लोग असमय मौत की गाल में समाते रहेंगे। जिसका ताजा उदाहरण डुमराँव अनुमंडल अंतर्गत का ये घटना हैं जो कि इन बालू लदे ट्रकों की लुकाछिपी आवागमन की वजह से बुरी स्थिती में पहुँच चुकी अकालूपुर पुलिया से 19 मई दिन सोमवार को स्कॉर्पियो पलट गई। जिसमें डी. के. मेमोरियल कॉलेज डुमरी के  प्रभारी प्राचार्य की मौके पर ही मौत हो गयी जब कि एम.वी, कॉलेज बक्सर प्रभारी प्राचार्य समेत तीन प्रोफेसर गंभीर रूप से जख्मी अवस्था मे अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे है।

वही इस मामले पर विभिन्न राजनीतिक लोगो ने भी अपनी अपनी प्रतिक्रयाओ के जरिये इसे  प्रशासन द्वारा सही कार्यवाई बताते हुए बालू माफियाओं और इस कारोबार में संलिप्त दलालों द्वारा एसडीम राकेश कुमार को फसाने की गहरी साजिश बताया जा रहा है। 

वही डुमराँव अनुमंडल निवासी जनशक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र शाहाबादी की माने तो जब से एसडीएम राकेश कुमार अपना पदभार संभाले है तब से बालू माफियाओं तथा दलालो की कमर टूट गई है। जिससे ग्रसित होकर इन्हें बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।

वही जदयू के प्रदेश महासचिव आजाद सिंह राठौर ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमारे समाज मे कुछ ऐसे छोटी और गंदी मानसिकता के लोग आज भी मौजूद है कि जब अधिकारियों द्वारा किसी कार्य को सही मुहूर्तरूप देने का प्रयास किया जाता है तो उन्हें ये भी रास नहीं आता और किसी ना किसी रूप से प्रभावित कर सरकार और अधिकारियो को बदनाम करने का कार्य करते है। जिसका जीता - जागता उदाहरण ये थप्पड़ वाली घटना है। जिसमें की कुछ चैनलों द्वारा इस घटना का पीछे की वजह नही बताते हुए गलत मंसूबो के साथ इसे वायरल किया गया। और ये वीडियो तो महज कुछ सेकंड का हैं। मगर उस ड्राइवर और एसडीएम की बाते करीब 15मिनट तक हुई है। साथ ही इन्होंने कहा कि बक्सर ही नही पूरे बिहार में बालू माफियाओं ने इस कदर अपना दायरा फैला रखा है, जिसे सिमेटने हेतू प्रशासन द्वारा बिना कड़ा रुख अपनाये कहीं से भी संभव नही हैं।  जिस तरह बालू माफियाओं और इससे संबंधित दलालो द्वारा अपने कोपभाजन का शिकार अधिकारियों को बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जो कि हमारे मुख्यमंत्री माननीय नीतीश कुमार जी के रहते ये संभव नहीं हैं। विधी - व्यवस्था को सुचारू और सही तरीके से संचालित करने को लेकर कभी - कभी सख्ती बरतनी पड़ती हैं। और इस तरह की सख्ती को कही से भी गलत नही ठहराया जा सकता।

बहरहाल इस वायरल वीडियो ने एक तरफ जहां बक्सर के तथाकथित नेताओ और समाजसेवियों तथा युवाओ के बीच सोशल मीडिया पर जंग छेड़ कर रख दिया हैं तो वही दूसरी तरफ इस वायरल वीडियो की पड़ताल में ये बातें भी निकलकर सामने आ रही है कि जिस तरीके से इस वीडियो को प्रस्तुत किया गया हैं उसमें सिर्फ एक पहलू ही नजर आ रहा है जबकि इस  वीडियो का दूसरा पहलू अपने आप ही बहुत कुछ बयां कर रहा हैं।  फिलहाल अब ये देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि  बालू माफियाओं द्वारा तैयार किये गए इस महाजाल में एसडीएम राकेश कुमार को किस हद तक जकड़ पाते है या फिर वो इन माफियाओ के मंसूबो को विफल करते हुए अपने जिम्मेदारियों को सहजतापूर्ण  निर्वहन करने में किस हद तक सफलता प्राप्त कर पाते है।

  

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