

मनिहारी-साहिबगंज अन्तर्राज्यीय फेरीसेवा के सौजन्य से गंगा-महाआरती आज।
- by Raushan Pratyek Media
- 02-May-2025
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आज ही के दिन भागीरथ प्रयास से धरती पर अवतरित हुईं थीं मोक्षदायिनी मां गंगा।
प्रति वर्ष बैशाख माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी, गंगा जयन्ती के रूप मे मनाई जाती है।
वैसे तो प्रति दिन गंगा स्नान पूण्यफलदायी है, लेकिन शास्त्रों मे गंगासप्तमी के दिन गंगा स्नान व पूजन को विशेष पुण्य फलदायी बताया गया है। इस पावन मौके पर गंगा स्नान व गंगा पूजन से अतीत के सारे पाप धुल जाते हैं।ऐसी धार्मिक मान्यता है। रिध्दि - सिध्दि,यश सम्मान की प्रप्ति होती है। ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है।मंगल के दुष्प्रभावों से ग्रसित लोगों को इस दिन गंगा स्नान तथा विशेष पूजन अर्चन को अत्यन्त लाभकारी बताया गया है।प्रचलित कथा के अनुसार राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाने गंगा को धरती पर लेकर आये थे। उन्होंने अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाने के लिए देवताओं से मदद मांगी थी, तब देवताओं ने उन्हें बताया कि गंगा मैया का पवित्र जल ही उन्हें मुक्ति दे सकता है। इससे प्रेरित होकर भागीरथ ने गंगा मैया को धरती पर लाने की कठोर तपस्या की।युगों बाद भगवान ब्रह्मा ने उन्हें भरोसा दिलाया कि धरती पर देवी गंगा अवतरित होंगीं और उनकी मनोकामना पूर्ण होगी। भागीरथ प्रयास से गंगा सप्तमी के दिन मोक्षदायिनी मां गंगा अवतरित हुईं और राजा भागीरथ की मनोकामना पूर्ण हुईं। तब से गंगा सप्तमी के मौके पर गंगा स्नान ,गंगा पूजन ,आरती का विशेष धार्मिक महत्व रहा है। इसी परम्परा के मद्देनजर प्रति वर्ष प्रायः गंगा जयन्ती के पुण्य अवसर पर मनिहारी साहिबगंज अन्तर्राज्यीय फेरीसेवा के सौजन्य से गंगा आरती सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठानों कराये जाते हैं।इस वर्ष भी गंगासप्तमी के मौके पर गंगतट पर दिव्य गंगा महाआरती शनिवार को संध्या समय निर्धारित है। इसमें काशी विश्वनाथ की नगरी से पधारे महिला-पुरुष धर्माचार्यों द्वारा वाद्य एवं स्वरयुक्त दिव्य गंगा - महाआरती की जाएगी। फेरी सेवा के प्रबंधक प्रताप कुमार ने धर्मानुरागियों से अधिक से अधिक संख्या मे इस अनुष्ठान मे भाग लेने का आह्वान किया है।

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