मधुबनी-शिशु मृत्यु दर को कम करने हेतु स्टाफ नर्स को दिया गया प्रशिक्षण



: जिला स्वास्थ्य समिति मधुबनी, इंडियन एसोसियेशन ऑफ पीडियाट्रिक और पाथ के संयुक्त तत्वावधान में चिकित्सा पदाधिकारी का प्रशिक्षण 

: प्रशिक्षण में हिस्सा ले रही हैं जिला के सभी सीएचसी और पीएचसी के स्टाफ नर्स

किशोर क़ुमार ब्यूरो 

मधुबनी-नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत शिशु मृत्यु दर को सिंगल डिजिट में लाने के उद्देश्य से जिलाभर के स्टाफ नर्स को स्थानीय होटल में प्रशिक्षण दिया गया!प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 5 सितंबर को 27 स्टाफ नर्स को प्रशिक्षित किया गया वहीं 8 एवं 9 सितंबर को एएनएम को प्रशिक्षित किया जाएगा. प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसपीओ चाइल्ड हेल्थ डॉ विजय प्रकाश राय ने कहा कि सदर अस्पताल सहित विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में होने वाले प्रसव के पश्चात करीब 10% नवजात शिशुओं के लिए कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेंशन (सीपीआर) आवश्यक होता है। दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने वाले स्टाफ नर्स को प्रसव के पहले और पश्चात आने वाली जटिलताओं से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस दौरान उन्हें बताया गया कि प्रसव के पश्चात तत्काल नवजात शिशु की धड़कन की गति, सांस लेने की गति के साथ यह देखना आवश्यक होता है कि जन्म के बाद शिशु रोया या नहीं। उन्होंने बताया कि प्रसव के पश्चात नवजात शिशु की धड़कन 100 से ऊपर और सांस लेने की गति 30- 40 के करीब होना चाहिए । प्रसव के बाद शिशु यदि देर से रोता है तो चमकी सहित 


प्रशिक्षण स्वास्थ्य समिति मधुबनी व पाथ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया 


सिविल सर्जन नरेश कुमार भीमसरिया ने बताया कि इंडियन एसोसियेशन ऑफ पीडियाट्रिक , जिला स्वास्थ्य समिति मधुबनी और डेवलपमेंट पार्टनर प्रोग्राम फॉर अप्रोप्रिएट टेक्नोलॉजी इन हेल्थ (पाथ) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. पहले दिन मंगलवार को जिलाभर से आए स्टाफ नर्स  ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इस प्रशिक्षण के माध्यम से जिला  के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव का कार्य करने वाले चिकित्सक को प्रसव के दौरान आने वाली जटिलताओं और बाधाओं से निपटने के लिए दक्ष बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि रेफरल मामलों में कमी आए और जिला मुख्यालय में कार्यरत एसएनसीयू में भर्ती होने वाले कमजोर नवजात शिशुओं की संख्या में कमी हो । इसके साथ ही नवजात शिशु मृत्यु दर को कम से कम किया जा सके। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने वर्ष 2009 में नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम शुरू किया ताकि प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा का सही तरीके से देखभाल करने वाले डॉक्टर और नर्सों का क्षमतावर्धन किया जा सके ।


प्रशिक्षण कार्यक्रम  जिले में तीन चरणों में दिया जा रहा है :


प्रशिक्षण कार्यक्रम में पाथ संस्था के प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद डॉ चंदन और सिद्धांत कुमार ने बताया कि आज के प्रशिक्षण कार्यक्रम में आईएपी की प्रतिनिधि के रूप में, डॉक्टर धीरेंद्र कुमार झा,डॉक्टर बबीता सिंह, जिला एनएएसके ट्रेनर डॉ अमित सौरव की देखरेख में  स्टाफ नर्स  को तीन अलग- अलग ग्रुप में बांट कर सभी तकनीकी पहलुओं की बारीकी से जानकारी दी गई। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य के सभी 38 जिलों में तीन चरणों में दिया जाना है। प्रशिक्षण के पहले चरण में मेडिकल ऑफिसर, का प्रशिक्षण दिया जा चुका है एवं दूसरे चरण में स्टाफ नर्स को दिया गया है और तीसरे चरण में एएनएम को प्रशिक्षित किया जाना है।


इस अवसर पर जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज कुमार मिश्रा, डॉक्टर कमलेश कुमार शर्मा सहित स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे!

  

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