भाजपा संगठन ने सोच समझकर मंझे हुए खिलाड़ी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को बनाया है बिहार चुनाव प्रभारी

पटना से ब्यूरो चीफ अजय शंकर की रिपोर्ट

पटना। संगठन और जनता के बीच की कड़ी धर्मेंद्र प्रधान को भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने दूर की कौड़ी खेल दी है। वैसे भी धर्मेंद्र प्रधान की पहचान संगठन को जनता के बीच उतारने की रही है। जनसंपर्क धर्मेंद्र प्रधान की राजनीति की पहचान है। यही वजह भी है कि बिहार प्रभारी बनने के अगले ही दिन कार्यक्रमों की शुरुआत कर दी। आइए समझिए धर्मेंद्र प्रधान की कार्यप्रणाली को जिसके सहारे चुनावी दौर के सफल व्यक्तिव करार दिए जाते रहे हैं।


बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आते ही बीजेपी ने धर्मेंद्र प्रधान को यूं हीं नहीं प्रभारी बनाया। संगठन के आदमी रहे धर्मेंद्र प्रधान की जिस खासियत के लिए एक अलग पहचान मिली है, उसकी बानगी तो प्रभार थामते ही शुरू हो गई है। बिहार प्रभारी के रूप में धर्मेंद्र प्रधान का आज दूसरा ही दिन है, मगर वे निकल पड़े हैं जनसंपर्क अभियान पर। खासियत ये है कि राजधानी की सबसे कठिन सीट दीघा विधानसभा से ही जनसंपर्क अभियान की शुरुआत की। पटना साहिब, कुम्हरार और बांकीपुर की तुलना में दीघा विधानसभा का पेंच सबसे ज्यादा जटिल हो गया है। एक कुशल रणनीति के तहत सबसे कठिन सीट से जनसंपर्क शुरू कर एक बड़ा संदेश संगठन और जनता के बीच पहुंचाने में कामयाब रहे। धर्मेंद्र प्रधान पश्चिम पटेल नगर के आदर्श चौक से जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया।  साथ ही साथ जनता से सीधे सवाल लिए और जवाब भी दिया। इस दौरान काफी तीखे सवालों से भी गुजरना पड़ा, मगर वे सहज बने रहे और उन्हें समझाने की कोशिश भी की।


बिहार प्रभारी के रूप में धर्मेंद्र प्रधान का पहला दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बीता। इस दिन धर्मेंद्र प्रधान ने अमित शाह की मौजूदगी में सबसे पहले उन विधासनसभा प्रभारियों से बात की, जो अन्य प्रदेश से बिहार आए हैं। उनसे धर्मेंद्र प्रधान ने अपने अनुभव शेयर करते बताया कि कैसे अनजान क्षेत्र में कार्य करेंगे। फिर उसी दिन दूसरी बैठक आईटी सेल के साथ हुई। तीसरी बैठक छोटी कोर कमेटी के साथ हुई।

नीतीश-धर्मेंद्र प्रधान एक-दूसरे के करीब

केंद्रीय नेतृत्व के धर्मेंद्र प्रधान को बिहार प्रभारी बनाने के पीछे मूल कारण ये रहा कि इनके संबंध नीतीश कुमार के काफी अच्छे रहे हैं। बीजेपी नेताओं में अटल बिहारी और लालकृष्ण आडवाणी के बाद अरुण जेटली और धर्मेंद्र प्रधान नीतीश कुमार के पसंदीदा नेता रहे हैं। इनके रहते केंद्रीय नेतृत्व को भरोसा है कि सीट शेयरिंग के साथ-साथ उम्मीदवारों के चयन में भी कोई परेशानी नहीं होगी। कुछ सीटों की अदला-बदली भी होनी है तो इसके लिए धर्मेंद्र प्रधान सबसे मुफीद हैं।

अच्छा रहा है धर्मेंद्र प्रधान का रिकॉर्ड

भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का प्रभारी नियुक्त किया है तो इसके पीछे इनका बेहतर रिकॉर्ड रहा है। धर्मेंद्र प्रधान 2010 बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त बिहार बीजेपी के सह प्रभारी थे। उस समय एनडीए को 243 सीटों में रिकॉर्ड 206 सीटें जीतने में कामयाबी हाथ लगी थी और एनडीए को ऐतिहासिक बहुमत मिला। लोकसभा चुनाव 2014 में भी धर्मेंद्र प्रधान बिहार के प्रभारी थे। तब, बिहार बीजेपी को 40 लोकसभा क्षेत्र में 31 सीटों पर जीत मिली। ये जीत इसलिए विश्वसनीय रहा कि तब नीतीश कुमार एनडीए में नहीं थे।

  

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