पूर्णिया विश्वविद्यालय मुख्यालय में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मियों के वेतन में किया गया छेड़ - छाड़!


         युवा जदयू जिला अध्यक्ष राजू कुमार मंडल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि पूर्णिया विश्वविद्यालय मुख्यालय में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मियों के साथ व्यापक स्तर पर अन्याय किया जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन  द्वारा कर्मियों के वेतन में भारी मात्रा में कटौती किया गया है, जबकि कुछ चहेतों   पदाधिकारी लोगों को लाभ पहुंचाया गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन यह दावा कर रही है कि कर्मियों को बिहार सरकार के विभिन्न आदेशों के आलोक में ही सही भुगतान किया गया है। जबकि  वर्त्तमान में किया गया भुगतान अक्टूबर 2024 में किए  गए भुगतान से कम कर 30 से 35 प्रतिशत कम हैं ! तो अब यह प्रश्न उठता है कि अक्टूबर 2024 तक किया गया भुगतान सही है या वर्त्तमान में किया गया भुगतान सही है ?

      वहीं राजू कुमार मंडल ने यह कहा कि तब तो यह निगरानी जाँच का विषय है , कि अक्टूबर 2024 तक किए गए भुगतान एवं वर्त्तमान में किए गए भुगतान में नियम-संगत कौन है ? 

                              वहीं पूर्णिया विश्वविद्यालय के प्रशासन को बिना देरी के ही सीनेट - सिंडिकेट की बैठक बुला कर आउटसोर्सिंग कर्मियों के भुगतान सम्बंधित मामले को जल्द से जल्द निष्पादित करना चाहिए। 

                      क्योंकि विश्वविद्यालय में लगभग एक वर्ष से सीनेट - सिंडिकेट की बैठक नहीं हुई है ,जिसकी वजह से विश्वविद्यालय में अराजकता का माहौल बन गया है। लुट खसोट का अड्डा बना हुआ है !

                        वहीं राजू कुमार मंडल ने यह भी कहा की जब से पूर्णिया विश्विद्यालय में प्रभारी कुलपति के रूप में पवन झा अपना पदभार ग्रहण किए है तब से और प्रभारी कुलपति महोदय अपने पावर का गलत उपयोग कर विश्विद्यालय में लुट - खसोट करने का काम कर रही है ! वहीं राज भवन से बिना अनुमति के ही और बिना टेंडर के ही  गुप्त रूप से पुराने एजेंसी को हटाकर नए एजेंसी से मोटे रकम वसूल कर नए एजेंसी से विश्विद्यालय मुख्यालय में अवैघ रूप से कार्य करवा रही है ! जो कि पूरी तरह से अवैघ है ! इसके पीछे भी कौन कौन पदाधिकारी संलिप्त है , इसपर उचित जांच कर कठोर से कठोर कार्रवाई अवश्य होनी चाहिए और इस एजेंसी को अविलंब हटाया जाए ! ताकि विश्विद्यालय की छवि और राज्य सरकार की  छवि धूमिल होने से बच सके ! अगर इसपर अविलंब कारवाई नहीं होती है तो युवा जदयू संगठन विश्विद्यालय प्रशासन के खिलाफ उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे !

  

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