संसार को स्वर्ग बनाने के लिए परमपिता परमात्मा शिव दे रहे हैं श्रेष्ठ ज्ञान



अश्वनी कुमार, समस्तीपुर 


समस्तीपुर/हसनपुर : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, समस्तीपुर के तत्वावधान में मीताराम बरबड़िया स्मृति भवन में आयोजित तीन दिवसीय स्वर्णिम भारत नवनिर्माण आध्यात्मिक प्रदर्शनी के दूसरे दिन बड़ी संख्या में लोगों के आने का सिलसिला जारी रहा। प्रदर्शनी के दौरान जिज्ञासुओं को इस बात से अवगत कराया गया कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी भारत प्राचीन काल में विश्व की सर्वाधिक समृद्ध सभ्यता रहा है। ऐसे भारत को फिर से स्वर्णिम भारत दैवी राजस्थान बनाने के लिए परमपिता परमात्मा शिव श्रेष्ठ ज्ञान दे रहे हैं। इस ज्ञान से चहुंमुखी उन्नति होती है। इस श्रेष्ठ ज्ञान के लिए ही कहा गया है- ज्ञान बिना गति नहीं, ज्ञान बिना सद्गति नहीं। श्रेष्ठ ज्ञान से हमारे विचार श्रेष्ठ बनते हैं। इससे हमारे कर्म श्रेष्ठ होते हैं। फलस्वरुप श्रेष्ठ संस्कारों का निर्माण होता है। अनेक मनुष्य आत्माओं के श्रेष्ठ संस्कारों के निर्माण से यह संसार श्रेष्ठ बन जाता है। इस संसार का नाम ही स्वर्ग है। स्व-परिवर्तन से विश्व-परिवर्तन की मुहिम इस प्रदर्शनी के माध्यम से आगे बढ़ाई जा रही है।  वहीं शिविर के प्रथम दिन तीन लोकों के बारे में बताते हुए रोसड़ा से आई ब्रह्माकुमारी कुंदन बहन ने कहा कि मूलवतन, सूक्ष्मवतन और साकार मनुष्य लोक मिलकर तीन लोक कहलाते हैं, ना कि आकाश, पृथ्वी और पाताल लोक। मूलवतन अर्थात् परमधाम परमात्मा और हम आत्माओं का निवास स्थान है। जहां से हम आत्माएं इस साकार मनुष्य लोक में पृथ्वी पर अलग-अलग शरीर के द्वारा इस सृष्टि रूपी रंगमंच पर एक्टर की भांति अपना-अपना पार्ट प्ले कर रहे हैं। यह स्मृति रहने से हम अपना रोल भी अच्छा प्ले करेंगे और हर परिस्थिति में खुश भी रह सकेंगे।


शिविर का सैकड़ो लोगों ने लाभ लिया।


ज्ञात हो कि रविवार को प्रदर्शनी का आखिरी दिन है और सात दिवसीय शिविर प्रतिदिन दो से तीन बजे तक चलता रहेगा।

  

Related Articles

Post a comment