धौनी दुर्गा स्थान मंदिर परिसर में भागवत कथा का आज अंतिम दिन।

मुंगेर/बिहार।


विश्वमोहन कुमार विधान।



-परमात्मा प्रेम भाव के भूखे हैं। 


पत्र पुष्प फल जल आदि साधारण सी साधारण वस्तु  भी कोई सच्चा भक्त प्रेम पूर्वक भगवान के चरणों में समर्पित करता है तो भगवान उसे प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार करते हैं।प्रेम के वशीभूत होकर ही भगवान श्रीराम ने शबरी के जूठे बेर खाए।श्री कृष्ण ने विदुरानी के हाथ से केले के छिलके और गरीब ब्राह्मण सुदामा जी के भेंट किए हुए तंदुल को बड़े प्रेम से खा लिया।उक्त बातें ब्रह्मलीन स्वामी पथिक जी महाराज के परम शिष्य हरिद्वार से पधारे प्रसिद्ध कथावाचक संत स्वामी सुबोध आनंद जी महाराज ने धौनी तारापुर दुर्गा स्थान के प्रांगण में महिला सत्संग समिति द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन रविवार को श्रोताओं से कहीं।श्री कृष्ण सुदामा मैत्री की कथा सुनाते हुए स्वामी जी ने कहा कि जीव रूपी सुदामा सद्बुद्धि रूपी धर्मपत्नी सुशीला की प्रेरणा से जब श्रीकृष्ण रुपी परमात्मा की शरण में जाता है तब वह जीव परमात्मा के जैसा ही सुखी संपन्न होकर आनंदमय जीवन जीने लगता है।ईश्वर ही जीव का सच्चा और सनातन मित्र है।श्री कृष्ण सुदामा मिलन की बड़ी सुंदर मनोहर झांकी भी दिखाई गई। एकादश स्कंध में उद्धव जी को श्री कृष्ण का  ज्ञान  उपदेश,दत्तात्रेय जी के 24 गुरुओं की कथा सुना कर भागवत कथा का समापन किया गया।सुबोध आनंद जी महाराज ने कहा कि इस संसार में सबसे बड़ा बुद्धिमान और चतुर इंसान वही है,जो मृत्यु होने के पहले ही अपने भीतर रहने वाले परमात्मा को जान लेता है।भागवत कथा के अंतिम दिन कथा सुनने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु लोग उपस्थित थे।

  

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