उर्दू - खालिस हिंदुस्तानी भाषा है यह देश की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है- अपर समाहर्ता विशेष कार्यक्रम नौशाद अहमद




पटना:- उर्दू - खालिस हिंदुस्तानी भाषा है यह देश की  सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है- अपर समाहर्ता विशेष कार्यक्रम श्री नौशाद अहमद वे आज समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में जिला उर्दू भाषा कोषांग द्वारा आयोजित जिला-स्तरीय सेमिनार, मुशायरा एवं कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उर्दू जुबान की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए प्रोफेसर तौकीर आलम पूर्व प्रो वाईस चांसलर, मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय पटना ने कि उर्दू के विकास के तरीकों पर विस्तृत प्रकाश डाला। डॉक्टर कासिम खुर्शीद पूर्व भाषा अध्यक्ष एनसीईआरटी बिहार ने कहा* रह सिर्फ जुबान ही नहीं, बल्कि एक कल्चर भी है*। यह संस्कृति है *भाईचारे का, मोहब्बत का एवं ईमान का*।

निरंजन कुमार प्रभारी पदाधिकारी जिला उर्दू भाषा कोषांग ने कहा कि *उर्दू के संरक्षण, संवर्द्धन एवं प्रोत्साहन* के लिए जिला प्रशासन प्रतिबद्ध है। सेमिनार में जो भी सुझाव आया है उसे अमल में लाने की पूरी कोशिश की जाएगी और कार्यक्रम में मौजूद शख्सियतों द्वारा उर्दू भाषा को रोजगार की भाषा बनाए जाने के लिए प्रयत्न किए जाने चाहिए।

डॉक्टर अब्दुल बासित हमीदी प्रोफेसर पटना वूमेन्स कॉलेज ने कहा कि विश्व कश के कई देशों में उर्दू भाषा बोली और समझी जाती है तथा लंदन में यह पांचवीं लोकप्रिय भाषा है।

श्रीमती आराधना प्रसाद एवं श्रीमती जीनत शेख ने अपनी गाय की के माध्यम से उर्दू भाषा के मिजाज और मिठास से श्रोताओं को मुक्त कर दिया।


 अपर समाहर्त्ता, विशेष कार्यक्रम श्री नौशाद अहमद, जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी श्री निरंजन कुमार , पूर्व प्रो वाईस चांसलर, मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय एवं प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. तौकीर आलम एवं अन्य द्वारा दीप-प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। छात्रों एवं छात्राओं द्वारा उर्दू जुबान की अहमियत पर *उम्दा

  

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