बेगूसराय आयुर्वेदिक चिकित्सा महाविद्यालय में बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन का कार्यशाला आयोजित


प्रशान्त कुमार की रिपोर्ट


 बेगूसराय राजकीय अयोध्या शिव कुमारी आयुर्वेद महाविद्यालय में सोमवार को बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की सीनियर प्रोग्राम मैनेजर डॉक्टर जयंती सिंह ने दौरा किया और प्राचार्य को आयुर्वेद महाविद्यालय को फाइलेरिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के रूप में विकसित करने की सलाह दी। आयुर्वेद महाविद्यालय को फाइलेरिया के रिसर्च इंस्टीट्यूट के रूप में विकसित करें जिसमें उन्हें इंस्टीट्यूट आफ अप्लाइड डर्मेटोलॉजी ,कासरगोड ,केरल का साथ मिल सकता है। फाइलेरिया का कार्यक्रम जो आयुर्वेद महाविद्यालय में चल रहा है उसे दिसंबर के बाद बंद हो जाने के पूर्व बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की डिपुटी डायरेक्टर अमेरिका निवासी डॉ लेस्ली वेस्टन एवं  डिपुटी डायरेक्टर स्ट्रेटजी चायनिज मूल के अमेरिकी नागरिक वीवीएन शू आगामी 8 अगस्त को आयुर्वेद महाविद्यालय के फाइलेरिया यूनिट का दौरा करेंगे। डॉ जयंती सिंह ने फाइलेरिया यूनिट के रोगियों से बातचीत की और उनके इलाज के संदर्भ मे पूरी पड़ताल की ।उन्होंने कहा कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन कुछ अल्प समय के लिए विभिन्न स्थलों पर फाइलेरिया रोगियों के इलाज के लिए केंद्र खोलता है। फाउंडेशन की इच्छा रहती है कि 2 साल के बाद स्थापित केन्द्र को राज्य या केंद्र सरकार के सहयोग से चलाया जाए और मेलिंडा फाउंडेशन नए स्थल की खोज में निकल जाता है जहां फाइलेरिया रोगों की बहुतायत हो, वहां केंद्र खोलने के लिए आगे बढ़ जाता है। प्राचार्य डॉक्टर श्रीनिवास त्रिपाठी ने उन्हें बताया कि यदि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन आयुर्वेद महाविद्यालय बेगूसराय में अपना बड़ा केंद्र खोल दे तो केंद्र खोलने के लिए महाविद्यालय के अस्पताल की दो मंजिला भवन हुए उन्हें पूर्णतया सौंप सकते हैं। मूल समस्या यह है कि फाइलेरिया केंद्र बंद होने के बाद यहां पदस्थापित चिकित्सक समेत अन्य कर्मचारियों का वेतन कहां से लाया जाए ।प्राचार्य ने उन्हें बताया की रोगियों के लिए दवा, भोजन एवं बेड और अन्य संसाधनों की व्यवस्था हमारे पास है, लेकिन जो फाइलेरिया के कर्मी डॉक्टर या अन्य मल्टीपरपज स्टाफ के वेतन की समस्या मूल रूप से सामने आएगी। इस पर डॉक्टर जयंती सिंह ने प्राचार्य को सलाह दी कीआप अपने महाविद्यालय की एक अन्य टीम तैयार करें जो यहां कार्यरत फलेरिया चिकित्सक और कर्मियों से प्रशिक्षण लेकर के यहां फलेरिया केंद्र चला सके।

  

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