ग्रामीणों का एक सुर न्याय नहीं तो वोट नही - मैठी गांव का मामला पकड़ा तुल, गायघाट थानेदार के खिलाफ कारवाई की मांग


मुजफ्फरपुर : लोकसभा चुनाव होने को है ऐसे में चुनाव आयोग सहित सभी सरकारी तंत्र लोगो को मतदान के प्रति जागरूक करने को लेकर तरह तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर रहे है ताकि मतदाता लोकतंत्र के इस महापर्व में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले, लेकिन मुजफ्फरपुर का एक ऐसा गांव जिसने ठान लिया की जबतक इंसाफ नही तब तक वोट नही. और पुलिसिया कारवाई का पूरा विरोध करते दिखे. इसका एक ताजा नजारा गुरुवार को देखने को मिला जब भाजपा प्रत्याशी राजभूषण चौधरी निषाद गायघाट के मैठी गांव पहुंचे, जिसके बाद ग्रामीणों  ने खुले जुबान से वोट बहिष्कार के नारे लगाए साथ ही इंसाफ नही तो वोट नहीं. यूं कहे तो वोट बहिष्कार और गायघाट थानाध्यक्ष पर करवाई की मांग को लेकर नारा लगाते दिखे.

हालाकि भाजपा प्रत्याशी ने इंसाफ दिलाने और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया.


आखिर क्या है पूरा मामला -

आपको बता दें की होली के दिन गांव के कुछ लोगों से स्थानीय चौकीदार से बकझक व मारपीट हो गई थी. जिसकी सूचना पर दल बल के साथ पहुंचें गायघाट थाना अध्यक्ष से भी ग्रामीणों का विवाद हो गया. जिसमें थानाध्यक्ष पुरषोत्तम यादव ने पुलिस पर हमला व दुर्व्यवहार करने का आरोप लगा प्राथमिकी दर्ज़ की थी, जिसमें लगभग दर्जनभर नामजद व कई अज्ञात को आरोपी बनाया गया। इसके बाद बीते 3 अप्रैल की आधी रात को रात के अंधेरे में गायघाट पुलिस नामजद अभियुक्त के घर छापेमारी करने पहुंचीं थी. लेकिन इस प्रकलन में गायघाट पुलिस की बर्बरता का मामला सामने आया, और जहा घर में मौजूद महिलाओं के साथ गायघाट थानाध्यक्ष पुरषोत्तम यादव द्वारा मारपीट और दुर्व्यवहार का आरोप लगा. गायघाट थानाध्यक्ष पुरषोत्तम यादव के खिलाफ पीड़ित परिवार और पूरा गांव करवाई की मांग करते दिख रहे है. अब ये मामला राजनीतिक रंग पकर लिया है क्योंकि पिरीत परिवार से मिलने कई राजनीतिक चेहरे पहुंच रहे है.


इस पूरे घटना क्रम के बीच में स्थानीय चौकीदार राजा राय का शराब के नशे में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था, जिसके बाद गायघाट पुलिस ने तत्वरीता से कारवाई करते हुए चौकीदार को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किया गया. अब जरा सोचिए जिस के कंधे पर शराबबंदी कानून वही शराब के नशे में गिरफ्तार किए गए. शराब बंदी कानून में चौकीदार की भूमिका अहम माना जा रहा है क्योंकि ग्रामीण (स्थानीय तौर) पर चौकीदार ही शराब कारोबारियों की पहचान कराने में अहम भूमिका निभाती है, हालाकि गायघाट में इसका उल्टा दिखा जहा चौकीदार ही नशे में पकड़ा गया. ऐसे में कैसे होगी शराबबंदी कानून सफल, क्या करेगी अब स्थानीय प्रशासन?.


ब्यूरो रिपोर्ट मुजफ्फरपुर/रुपेश कुमार

  

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