मधुबनी(बिहार)-एसएसबी द्वारा आयोजित मिथिला पेंटिंग का प्रशिक्षण हुई पूर्ण,प्रशिक्षणार्थियों को मिला प्रमाण-पत्र

मधुबनी में 18 वीं वाहिनी एस एस बी" मुख्यालय राजनगर के कमांडेन्ट अरविंद वर्मा के मौजूदगी में कंपनी कमांडर नीतीश कुमार के नेतृत्व में रामा फाउंडेशन द्वारा आयोजित 21 दिवसीय मिथिला पेंटिंग निःशुल्क प्रशिक्षण सफलतापूवर्क पूर्ण हो गई!इस 21 दिवसीय कार्यक्रम में हस्तशिल्प कारीगरों के कलाकृतियों का निःशुल्क मिथिला पेंटिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मुखिया लाल बिहारी मंडल ने इस आयोजन के लिए कमांडेन्ट अरविंद वर्मा को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन से स्थानीय स्तर के कला और हस्तशिल्प कारीगरों को उचित मंच मिल सकेगा और उन्हें अपने कला के लिए उचित बाजार भी उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने कहा कि मिथिला पेंटिंग आज पूरे विश्व में एक अलग मुकाम हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि इसके बाद घर के लोगों से आप आग्रह करें कि भविष्य में जब वैसा ही कोई उत्पाद खरीदा जाए तो वह भारत में बना हो।  उप कमांडेन्ट महोदय ने कहा कि प्रधानमंत्री का सपना है कि अगले 25 सालों में देश एक अलग मुकाम पर पहुंचे और सामर्थ्यवान बने, उसमें बहुत बड़ी भूमिका वोकल फॉर लोकल अभियान का होगा। उन्होंने कहा कि आज देश में जो नीतियां बन रही है, उसमें स्थानीय उत्पाद को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब लोकल यानि स्थानीय उत्पादों का प्रयोग करने, इसका प्रचार गर्व से करने तथा वैश्विक बनाने का समय आ गया है। इस दौरान सभी हस्तशिल्प कारीगर काफी खुश नजर आए। विश्व प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग को बढ़ावा देने के लिए मिथिला पेंटिंग,मिथिला पेंटिंग से सजी साड़ी, कपड़े,पाग-दुपट्टा और स्थानीय स्तर पर बनाए जाने वाले सजावट के सामान उपलब्ध हैं।उन्होंने कहा कि मधुबनी रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में यात्री आते हैं और वे इस मिथिला पेंटिंग से सजे इस कला को देखकर संस्कृति को दूर-दूर तक पहुंचाने में मदद करती हैं।महिलाओं के रोजगार सृजन में मिथिला पेंटिंग अहम साबित हो रहा है। इसके जरिए वर्तमान दौर में कलाकारों को ना सिर्फ आमदनी हो रही है, बल्कि उन्हें ख्याति भी मिल रही है। वैसे मिथिला पेंटिंग का जुड़ाव मिथिलांचल की संस्कृति से रहा है। इस पेंटिंग कला का ईजाद मिथिला की महिलाओं ने ही किया है।घरों की दीवारों और फर्श को सजाने के लिए किया जाता है।  इसके अलावा, क्षेत्र के कई कलाकारों द्वारा मधुबनी कला का उपयोग आजीविका के साधन के रूप में भी किया जाता है, जिससे उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने और अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का अवसर मिलता है।

  

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