दिल्ली के संसद भवन में प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी के ऐतिहासिक, राहुल गांधी अकेले सब पर भारी:- पूर्व विधायक अमिता भूषण



प्रशान्त कुमार ब्यूरो चीफ



दिल्ली के संसद भवन में संसद सत्र और सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विपक्ष की ओर से प्रतिपक्ष क़े नेता के तौर पर राहुल गांधी का सम्बोधन सुर्खियों में है। इस सम्बोधन को ऐतिहासिक बताते हुए राहुल गांधी के इस नये स्वरुप का बेगूसराय नगर के पूर्व विधायक अमिता भूषण ने सराहना की है। श्रीमती भूषण ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है क़ि 

इतिहास लिखने बालों को लिखते समय ये आभास नहीं होता है । दरअसल वो इतिहास लिख नहीं इतिहास बना रहा है। बीते 10 बरस में हिंदुस्तान का संसदीय लोकतंत्र जिस कदर रेंगते हुए अपनी साँसे उखड़ता देख रहा था, संसद भवन की नई ईमारत में आज क्या लोकतंत्र, क्या विपक्ष सबकी साँसे जिन्दा होती दिखी । प्रतिपक्ष क़े नेता के तौर पर  राहुल गांधी ने अपने सम्बोधन से झटके में वो इतिहास गढ़ दिया जिसकी कल्पना अहंकार और दम्भ में डूबे एक प्रधानमंत्री ने कभी किया ही नहीं था। नरेंद्र मोदी  को कभी अपने 12 वर्ष के मुख्यमंत्री के तौर पर और 10 वर्ष प्रधानमंत्री क़े रूप में किसी के भाषण के बीच में खडे होकर आसन से संरक्षण की गुहार लगाते नहीं देखा।  एक अकेला सब पर भारी जैसे अतिक्रांन्तिकारी खाल ओढ़े प्रधानमंत्री को इतना मजबूर कभी किसी ने नहीं देखा।दरअसल हिन्दू शब्द का जिक्र होते ही पूरी भाजपा मण्डली जागृत  हो जाती है पर आज पहली बार ज़ब राहुल गांधी ने भगवान् शिव की फोटो क़े साथ भाजपाइयों क़े नकली हिंदुत्व का आवरण उधेडा पूरी मण्डली तिलमिला उठी। नेहरू क़े दौर में लोहिया भी बोलते थे, विपक्ष क़े तौर पर जयप्रकाश की आवाज भी गूंजती थी, यहाँ तक की इंदिरा और एकतरफा बहुमत बाले राजीब गांधी क़े दौर में भी प्रतिपक्ष की आबाज गूंजती रही पर बीते दस बरस में संख्या बल की आड़ में जिस कदर विपक्ष की आवाज़ को दबाते हुए नोटबंदी, जी एस टी, एम एस पी, किसान, रोजगार जैसे मुद्दों को कुचला गया आज शालीनता और बेबाकी से राहुल गाँधी जी ने एक एक कर परतें उधेड़ दी। राहुल गाँधी ने मदन्ध सत्तासीनो को लोकतंत्र की उस ताकत का एहसास करा दिया जहाँ दो बार स्वयं प्रधानमंत्री, तीन बार गृहमंत्री, दो बार रक्षामंत्री सहित तमाम सत्ता पक्ष क़े सांसदों और स्वयं आसन पर बैठे खांटी स्वयंसेवक ॐ विरला जी को संरक्षण की गुहार लगानी पड़ रही थी। राहुल जी ने कई बातें व्यंगात्मक तौर भी कही पर इस मामले में मोदी जी अभी भी आगे हैं क्यूंकि ज़ो व्यंग्य और मजाक उन्होंने पिछले 10 सालों में लोकतंत्र और देश की जनता क़े साथ किया है वो राहुल जी क़े व्यंगात्मक सम्बोधन और देश की जनता पर अभी भी भारी है। खैर यह तो आगाज है झूठो का अंजाम अभी बाकी है।

  

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