बीसीएम द्वारा अवैध वसूली के लिए दवाब बनाने के मामले की तीन सदस्यीय टीम ने की जांच




समस्तीपुर/विभितीपुर :- प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र विभूतिपुर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड लेखापाल, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक एवं मोहिउद्दीनगर में कार्यरत एएनएम संगीता कुमारी (संविदा) और इसके पुत्र द्वारा प्रसव कक्ष में 30-50 रुपए अवैध रुप से वसूली करने, अस्पताल परिसर में चाय-नाश्ता दुकान संबंधी सत्यापन और आशा फेसिलेटर प्रेरणा कुमारी तथा प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक से संबंधित शिकायत को लेकर सिविल सर्जन द्वारा गठित तीन सदस्यीय टीम शनिवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र विभूतिपुर पहुंची। टीम में शामिल जिला मलेरिया पदाधिकारी डा. विजय कुमार, जिला लेखा प्रबंधक पंकज कुमार और जिला सामुदायिक उत्प्रेरक अनिता कुमारी ने विभिन्न बिन्दुओं पर तकरीबन चार घंटे से अधिक तक फर्स्ट फ्लोर के एक बंद कमरे में गहन जांच की। प्रवेश निषेध रखकर पूरी की गई जांच के बाद कैंपस में पहुंची टीम ने बताया कि लेबर रुम में रुपए वसूली के मामले में कोई प्रूफ नहीं मिल सका है। यहां पर एक-दूसरे पर रुपए डिमांड का आरोप लगाने की समस्या है। जांच के क्रम में प्रूफ मांगने पर कोई देने को तैयार नहीं है। इसलिए निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा जा सका है। लोग एक-दूसरे से लड़ाई-झगड़ा करते दिखे हैं। मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. अभय शंकर ठाकुर, बीएचएम रंजीत कुमार प्रसाद, बीसीएम राहुल कुमार गौरव, आशा फेसिलेटर प्रेरणा कुमारी, सारिका कुमारी आदि मौजूद रहे।


आशा फेसिलेटर का आरोप, जांच की हुई खानापूर्ति :


शिकायतकर्ता आशा फेसिलेटर प्रेरणा कुमारी ने सिविल सर्जन के गठित जांच टीम द्वारा बंद कमरे में जांच को खानापूरी बताया है। कहा है कि ये ना किसी से रुपए लेते हैं और ना किसी को देते हैं। इसलिए बीसीएम द्वारा उन्हें टार्चर किया जा रहा है। अस्पताल से लेकर फिल्ड तक अपशब्द का प्रयोग किया जा रहा है। मानसिक और शारीरिक रुप से प्रताड़ित किया जा रहा है। इसके खिलाफ डीएम, सीएस और प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से लिखित शिकायत की थी। शनिवार को अस्पताल पहुंची जांच टीम मिली-भगत कर एकतरफा जांच कर जिला रवाना हो गई है। शिकायत को बिन्दुवार ना ही देखा गया, ना ही जांच पूरी की गई और ना ही निष्पादन से संबंधित को ठोस बातें ही बताई गई। यहां यह क्लियर हो गया है कि रुपए का खेल-बेल चल रहा है। विपरीत कार्रवाई से भयभीत आशा फेसिलेटर नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि विभिन्न कागजी चीजों का हवाला देकर बीसीएम इन्हें प्रति आशा प्रतिमाह 600 रुपए उगाही कर फिफ्टी-फिफ्टी करने को दबाव डालते हैं। अधिकांश फेसिलेटर इस आफर को स्वीकार कर जांच के वक्त बीसीएम की बोली बोलने लगने हैं। अस्पताल में रुपए उगाही का एक नेक्सेस बन चुका है। जिसे तोड़ पाना आलाधिकारियों के लिए भी चुनौतीपूर्ण है। मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व में ग्रामीण जनता द्वारा शिकायत के बाद जांच टीम आने की सूचना अस्पताल प्रशासन द्वारा गुप्त रुप से दुकानदार को शुक्रवार को ही दे दी गई थी। सूचना मिलने के साथ ही दुकान में ताला जड़कर दुकानदार फरार रहा। जांच टीम ने दुकान के तरफ रुख करना भी मुनासिब नहीं समझा। लोगों में दबे स्वर इस बात की चर्चा दिनभर होती रही कि अस्पताल प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के बजाय गंभीर मसलों पर भी नजरअंदाज करने में अधिक विश्वास करने लगी है।

  

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